झारखंड: बेहद दिलचस्प है 2014 में बीजेपी के सत्ता स्थापना की कहानी, आसानी से नहीं बने थे रघुवर दास सीएम, करना पड़ा था जुगाड़
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास (Photo: IANS)

Jharkhand Assembly Elections 2019: झारखंड में विधानसभा चुनावों के तारीखों का ऐलान कुछ ही देर में होगा. 2014 में 5 फेज में ही वोटिंग हुई थी. 2019 आम चुनावों में बीजेपी को सूबे में बंपर कामयाबी मिली थी. पार्टी को 14 में से 11 सीटों पर जीत मिली थी साथ ही सहयोगी आजसू को 1 सीट पर कामयाबी मिली थी. इन नतीजों से बीजेपी के हौअले बुलंद थे मगर हाल ही में आए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के नतीजों ने समीकरण बदल दिए हैं.

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के नतीजों से विपक्ष का मनोबल बाढा है. बीजेपी भी 'अलर्ट मोड' में आ गयी है. पार्टी का मानना है कि 2019 आम चुनावों में हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों जीतने के बावजूद भी जब विधानसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिल पाया तो फिर झारखंड को लेकर भी 'ओवर कॉन्फिडेंस' का शिकार होना ठीक नहीं. वैसे 2014 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी जरुर थी मगर 81 सदस्यों वाली विधानसभा में वे बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर थी.

बता दें कि , पिछली बार बीजेपी को 81 में से सिफे 37 सीटें मिलीं थीं. तब बहुमत के लिए पार्टी को मुख्य विपक्षी दल झाविमो के छह विधायकों को तोड़ना पड़ा था. राज्यपाल ने दो तिहाई से अधिक विधायकों के भाजपा में आने के कारण उनके विलय को मंजूरी दी थी. ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (All Jharkhand Students Union) 3.7 फीसदी वोट के साथ 5 सीटें जीती थी, इस पार्टी का समर्थन बीजेपी को हासिल हुआ था.

वैसे बीजेपी को पार्टी की अंदरूनी कलह का डर भी सता रहा है. सूत्रों की माने तो झारखंड में पहली बार बनाए गए गैर आदिवासी मुख्यमंत्री रघुबर दास से कहा गया है कि वह किसी भी कीमत पर असंतुष्ट नेताओं को मनाएकर एकजुट रखें. चुनाव में भितरघात हर संभव तरह से रोकें. पार्टी हरियाणा की तरह झारखंड में टिकट वितरण में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती.