360 डिग्री घूम सकती है महाराष्ट्र की राजनीति, देवेंद्र फडणवीस नहीं नितिन गडकरी बन सकते हैं सूबे के मुखिया?
देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी (Photo Credits: Twitter/IANS)

महाराष्ट्र में चुनावों के नतीजे के एक पखवाड़े के बाद और बीजेपी व शिवसेना (BJP-Shiv Sena) के बीच शब्दों की तकरार के बाद इन दोनों दलों की सरकार बनने के करीब है. लेकिन, रोचक यह है कि हो सकता है कि सत्ता की खींचतान में संघ अपने चहेते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की कुर्बानी दे दे. राजनीतिक अनुमान है कि फडणवीस की जगह केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ले सकते हैं. शिवसेना के गठबंधन में वापसी की जल्द से जल्द घोषणा हो सकती है.

फडणवीस व गडकरी दोनों नागपुर से है और कैमरे के सामने दोनों में सौहार्दपूर्ण संबंध होने के बावजूद दोनों के बीच मतभेद जाहिर हैं. सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) ने स्पष्ट रूप से गडकरी को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित करने का रोडमैप तैयार किया है. इससे शिवसेना को रोटेशन के आधार पर मुख्यमंत्री पद की मांग को कमजोर करने का अवसर मिलेगा. नितिन गडकरी के संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ अच्छे संबंध हैं.

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भागवत ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में लाने का कार्य किया और कई दिग्गज नेताओं के विरोध के बावजूद उन्हें भाजपा (BJP) अध्यक्ष बनाया. इसके अलावा 2014 के दौरान जब गडकरी ने चुनाव में उतरने की घोषणा की तो भागवत ने हस्तक्षेप कर उन्हें वापस हटने और अपने को राष्ट्रीय राजनीति तक सीमित करने को मनाया. शिवसेना देवेंद्र फडणवीस के कड़े रुख को लेकर नाराज है.

आरएसएस के शीर्ष नेताओं ने अपने सूत्रों को शिवसेना को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) से बातचीत को लेकर पाला नहीं बदलने की सलाह देने के लिए भेजा. माना जाता है कि संघ ने भी शिवसेना को आश्वासन दिया है कि सभी 'मुद्दों' का सौहार्दपूर्ण हल किया जाएगा. यह खासा महत्वपूर्ण है कि शिवसेना नेता किशोर तिवारी (Kishor Tiwari) ने भागवत को पत्र लिखकर गडकरी को परिदृश्य में लाने को कहा. तिवारी ने कहा कि सिर्फ गडकरी ही गतिरोध को 'दो घंटे' में खत्म कर सकते हैं.

गडकरी को संघ का चहेता माना जाता है. वे नागपुर से हैं, जहां आरएसएस का मुख्यालय है. इससे पहले मंगलवार को संघ प्रमुख द्वारा फडणवीस को बुलाया गया था और उन्होंने 90 मिनट बातचीत की, लेकिन नतीजा सिफर रहा. आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी भी इस बैठक को लेकर मौन रहे. फडणवीस ने सोमवार को दिल्ली में नितिन गडकरी और अमित शाह से मुलाकात की थी.

राकांपा द्वारा किसी को भी समर्थन देने से इनकार करने के बाद आरएसएस ने भाजपा और शिवसेना के बीच बातचीत के लिए राजनीतिक प्रबंधन को सक्रिय कर दिया है. राज्य विधानसभा के कार्यकाल के इस हफ्ते समाप्त होने के मद्देनजर संघ ने सरकार बनाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है.