International Yoga Day 2020: पीएम मोदी बोले- कोरोना संकट में योग की ज्यादा जरूरत, जानिए प्रधानमंत्री के संबोधन की बड़ी बातें
पीएम मोदी (Photo Credits-BJP Twitter)

नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2020) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज सुबह राष्ट्र को संबोधित किया है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जो हमें जोड़े, साथ लाए, वही योग है. उन्होंने योग दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि योग दिवस एकजुटता का दिन है. जो दूरियां खत्म करे, वही योग है.इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कोरोना महामारी में योग की सबसे अधिक जरूरत है .मोदी ने कहा कि COVID-19 वायरस खासतौर पर हमारे श्वसन तंत्र पर हमला करता है. हमारे Respiratory system को मजबूत करने में जिससे सबसे ज्यादा मदद मिलती है वो है प्राणायाम, यानि कि सांस लेने का व्यायाम. इसलिए आप प्राणायाम को अपने प्रतिदिन के अभ्यास में जरूर शामिल करिए, और अनुलोम-विलोम के साथ साथ दूसरी प्राणायाम techniques को भी सीखिए और उनको सिद्ध कीजिये .

पीएम मोदी ने कहा कि बच्चे, बड़े, युवा, परिवार के बुजुर्ग, सभी जब एक साथ योग के माध्यम से जुडते हैं, तो पूरे घर में एक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए, इस बार का योग दिवस, भावनात्मक योग का भी दिन है, हमारी Family Bonding को भी बढ़ाने का दिन है. यह भी पढ़ें-International Yoga Day 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा-जो हमें जोड़े, साथ लाए, वही योग है

प्रधानमंत्री ने कहा कि  स्वामी विवेकानंद कहते थे- “एक आदर्श व्यक्ति वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है”. किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है.

पीएम नरेंद्र मोदी बोले- योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है.योग का अर्थ ही है- ‘समत्वम् योग उच्यते’अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है.

उन्होंने कहा कि जब हम योग के माध्यम से समस्याओं के समाधान और दुनिया के कल्याण की बात कर रहे हैं, तो मैं योगेश्वर कृष्ण के कर्मयोग का भी आपको पुनः स्मरण करना चाहता हूं. गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योगः कर्मसु कौशलम्’अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है.

मोदी ने कहा कि  हमारे यहां कहा गया है-युक्त आहार विहारस्य, युक्त चेष्टस्य कर्मसु। युक्त स्वप्ना-व-बोधस्य, योगो भवति दु:खहा. अर्थात्, सही खान-पान, सही ढंग से खेल-कूद, सोने-जागने की सही आदतें, और अपने काम, अपनी duties को सही ढंग से करना ही योग है.