Ambedkar Jayanti 2023: संविधान के निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्मदिन हर साल 14 अप्रैल को मनाया जाता है. इस साल उनकी 133वीं जयंती मनाई जा रही है. डॉ.अंबेडकर की जयंती पर उनके जनकल्याण के लिए किए गए अभूतपूर्व योगदान को याद किया जाता है. भीमराव आंबेडकर ने भारत का संविधान लिखा था. यह संविधान जाति और धर्म की परवाह न करते हुए सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है. अंबेडकर जयंती को समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. देश और समाज के प्रति अमूल्य योगदान के कारण डॉ भीमराव अंबेडकर को 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. आज अंबेडकर जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर बाबासाहेब को शत-शत नमन किया.
समाज के वंचित और शोषित वर्ग के सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। जय भीम! pic.twitter.com/yssVzjMpnL
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2023
संसद परिसर में दी गई श्रद्धांजलि
भारतीय समाज में गैरबराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती पर संसद भवन परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पीएम मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. बता दें कि बाबा साहब अंबेडकर के जन्मदिवस पर संसद भवन परिसर में हर साल होने वाला यह कार्यक्रम केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है. इसमें बौद्ध भिक्षुकों के अलावा दूर-दूर से आए दलित समाज के लोग भी शामिल होते हैं.
देखें | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।@rashtrapatibhvn pic.twitter.com/rJojYhLyo8
— प्रसार भारती न्यूज सर्विसेज एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म (@PBNS_Hindi) April 14, 2023
मध्य प्रदेश के मऊ में हुआ था जन्म
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के मऊ में एक गरीब परिवार में हुआ था. वह भीमराव रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं संतान थे. उनका परिवार मराठी था जो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिला स्थित अम्बावडे नगर से सम्बंधित था. डॉ.अंबेडकर के बचपन का नाम रामजी सकपाल था. वो अछूत माने जानी वाली जाति महार से ताल्लुक रखते थे इस कारण बचपन से उन्हें भेदभाव और सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा.
पीएम @narendramodi ने डॉ बाबासाहेब अंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। pic.twitter.com/YVhUwKroKv
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64 विषयों के थे ज्ञानी
डॉ. अंबेडकर कुल 64 विषयों में मास्टर थे. वे हिन्दी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, पर्शियन और गुजराती जैसे 9 भाषाओं के जानकार थे. इसके अलावा उन्होंने लगभग 21 साल तक विश्व के सभी धर्मों की तुलनात्मक रूप से पढ़ाई की थी. डॉ. अंबेडकर अकेले ऐसे भारतीय है जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगाई गई है. इतना ही नहीं उन्हें देश-विदेश में कई प्रतिष्ठित सम्मान भी मिले हैं. भीमराव अंबेडकर के पास कुल 32 डिग्री थी. उनके निजी पुस्तकालय राजगृह में 50 हजार से भी अधिक किताबें थी और यह विश्व का सबसे बड़ा निजी पुस्तकालय था.
डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के प्रबल पक्षधर थे। महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के उनके सिद्धांत आज समस्त देशवासियों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। #WomenEmpowerment #AmbedkarJayanti @MinistryWCD @MSJEGOI @PMOIndia @PIB_India @MIB_India pic.twitter.com/I6LESlrZ3I
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देश के पहले कानून मंत्री
जब 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार बनी तो उसमें डॉ. अंबेडकर को देश का पहला कानून मंत्री नियुक्त किया गया. 29 अगस्त 1947 को डॉ. अंबेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने उनके नेतृत्व में बने संविधान को अपना लिया. डॉ. अंबेडकर ने 1952 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप मे लोकसभा का चुनाव लड़ा पर हार गये. मार्च 1952 में उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया और अपने अंतिम समय तक वो उच्च सदन के सदस्य रहे.
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उनका सपना भेदभाव मुक्त हो भारत
भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर का सपना था कि भारत जाति-मुक्त हो. उनका मानना था कि वर्गहीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जाति विहीन करना जरूरी है. आज महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए हमारे पास जो भी संवैधानिक सुरक्षा कवच, कानूनी प्रावधान और संस्थागत उपाय मौजूद हैं उसका श्रेय डॉ. अंबेडकर को जाता है. डॉ. अंबेडकर का मानना था कि भारतीय महिलाओं के पिछड़ेपन की मूल वजह भेदभावपूर्ण समाज व्यवस्था और शिक्षा का अभाव है. शिक्षा पर किसी एक वर्ग का अधिकार नहीं बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षा का समान अधिकार है.
वर्तमान सरकार कर रही है उनका सपना साकार
पीएम बनते समय नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों वंचितों के प्रति समर्पित बताया था. वस्तुतः यह डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की ही प्रेरणा थी. विगत नौ वर्षों से उनकी सरकार इसी दिशा में कार्य कर रही है. जन कल्याण की इतनी अधिक और व्यापक योजनाएं देश में पहले कभी लागू नहीं की गई थी. आज दलित वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ वंचित वर्ग तक पहुंच भी रहा है. पीएम मोदी ने बाबा साहब डाॅ भीमराव अंबेडकर की भावनाओं के अनुरूप भारत के निर्माण के लिए बिना भेदभाव के समाज के प्रत्येक वर्ग को शासन की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया है. आज सरकार ने अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाया है.
भारतीय संविधान के शिल्पकार, सामाजिक न्याय के अग्रदूत, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन।
आज का नया भारत, बाबा साहेब के समावेशी और न्यायसंगत राष्ट्र के विज़न को पूरा करने की दिशा में सतत प्रयास है। #AmbedkarJayanti pic.twitter.com/jbjmpEW2FM
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अंबेडकर से जुड़ी स्मारकों को दिया भव्य रूप
वर्तमान की केंद्र सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़े पांच स्थानों को भव्य स्मारक का रूप प्रदान किया. इसमें लंदन स्थित आवास, उनके जन्मस्थान, दीक्षा स्थल, इंदुमिल मुम्बई और नई दिल्ली का अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान शामिल है. यह अपने ढंग का अद्भुत संस्थान है, जिसमें एक ही छत के नीचे डॉ. अंबेडकर के जीवन को आधुनिक तकनीक के माध्यम से देखा-समझा जा सकता है.