नई दिल्ली, 15 जनवरी : प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) की सोसायटी और कार्यकारी परिषद का मंगलवार को पुनर्गठन किया गया, जिसमें कई नए सदस्य शामिल किए गए हैं. प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को एक बार फिर कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष बनाया गया है.
इस बार कई प्रमुख नाम पीएमएमएल की सोसायटी में शामिल हुए हैं. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार, सेवानिवृत्त जनरल सैयद अता हसनैन, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शेखर कपूर और संस्कार भारती के वासुदेव कामत शामिल हैं. ये लोग संस्था में अपनी विविध अनुभव और विशेषज्ञता लेकर आएंगे, जो पीएमएमएल के विकास को एक नई दिशा देंगे. यह भी पढ़ें : Maharashtra: शिवसेना नेता ने की ‘Digital Arrest’, जबरन वसूली के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोसायटी के अध्यक्ष और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपाध्यक्ष बने रहेंगे. सोसायटी के सदस्यों की संख्या भी 29 से बढ़ाकर 34 कर दी गई है. यह विस्तार संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पुनर्गठन आदेश के तहत किया गया है. नई सोसायटी और परिषद का कार्यकाल पांच साल का होगा.
हालांकि, कुछ पुराने सदस्यों को पुनर्गठन में बाहर कर दिया गया है. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय और पत्रकार रजत शर्मा शामिल हैं.
दिलचस्प बात यह है कि पीएमएमएल की सोसायटी में अब राष्ट्रीय विकास में योगदान देने वाले कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शामिल हुए हैं. इनमें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तैयार करने में भूमिका निभाने वाले शिक्षाविद् चामू कृष्ण शास्त्री शामिल हैं. इसके अलावा, पुरातत्वविद् के.के. मोहम्मद, जो 1976 में बाबरी मस्जिद के उत्खनन दल का हिस्सा थे, और राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्तमान प्रमुख बी.आर. मणि भी सोसायटी में शामिल हुए हैं.
यह पुनर्गठन पीएमएमएल के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर 2023 में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) का नाम बदलकर पीएमएमएल करने के बाद. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले भारतीय प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव रखा था, और 2022 में इसका उद्घाटन हुआ. इस संग्रहालय का उद्देश्य देश के नेतृत्व की विरासत को संरक्षित करना और उसे प्रस्तुत करना है.