आज होगा फैसला! विनेश फोगाट को मिलेगा सिल्वर मेडल? CAS में भारत की बेटी की तरफ से लड़ेंगे हरीश साल्वे
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Vinesh Phogat Disqualification Case: भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के लिए पेरिस ओलंपिक 2024 एक बड़े झटके का सबब बन गया जब उन्हें ओलंपिक कुश्ती के फाइनल से बाहर कर दिया गया. विनेश, जो 50 किलोग्राम (kg) वर्ग में अमेरिका की सारा हिल्डब्रांट के खिलाफ फाइनल मुकाबले में उतरने वाली थीं, को मात्र 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया. उनका वजन 50.1 किलोग्राम मापा गया, जबकि प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार, उन्हें 50 किलोग्राम वजन सीमा के भीतर होना चाहिए था.

इस अप्रत्याशित निर्णय से आहत, विनेश फोगाट ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की है. इस मामले में भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की ओर से भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे अदालत में विनेश का पक्ष रखेंगे.

प्रतियोगिता का घटनाक्रम

विनेश फोगाट ने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले दिन के तीन मुकाबले जीते और फाइनल में अपनी जगह पक्की की. प्रतियोगिता दो दिनों में आयोजित होती है, और नियमों के अनुसार पहलवानों को दोनों दिन वजन मापने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. विनेश ने पहले दिन अपने वजन सीमा को सफलतापूर्वक पूरा किया, लेकिन दूसरे दिन वजन में मामूली अंतर के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.

विनेश की अपील

विनेश फोगाट और उनकी टीम ने CAS में यह दलील दी है कि उन्हें संयुक्त-सिल्वर मेडल दिया जाए क्योंकि उन्होंने पहले दिन के मुकाबलों में सभी नियमों का पालन करते हुए अपनी जीत दर्ज की थी. उनका तर्क है कि एक छोटी सी गलती के कारण उन्हें फाइनल से बाहर करना अनुचित है, विशेष रूप से तब जब उन्होंने प्रतियोगिता के पहले दिन सभी मुकाबलों में जीत हासिल की थी और नियमों का पालन किया था.

अदालत में न्याय की उम्मीद

इस मामले की सुनवाई 9 अगस्त को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:30 बजे होगी. यह मामला न केवल विनेश फोगाट के व्यक्तिगत करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय खेल जगत में न्याय और नियमों की व्याख्या के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है.

विनेश फोगाट का यह मामला यह सवाल उठाता है कि क्या नियमों का सख्ती से पालन करना हमेशा न्यायसंगत होता है, खासकर जब एक खिलाड़ी ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो. कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट का निर्णय यह तय करेगा कि खेलों में न्याय और मानवता को कितना महत्व दिया जाता है. भारतीय खेल प्रेमी और पूरे देश की निगाहें अब इस महत्वपूर्ण मामले पर टिकी हुई हैं, जिसमें एक खिलाड़ी का ओलंपिक सपना दांव पर है.