नई दिल्ली: 'एक देश एक चुनाव' के मुद्दे पर लॉ कमीशन अगले सप्ताह अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप सकता है. रिपोर्ट्स में यहां तक दावा किया जा रहा है कि साल 2029 में चुनाव 'एक देश एक चुनाव' वाले कॉन्सेप्ट पर हो सकते हैं. आयोग एक राष्ट्र, एक चुनाव (One Nation, One Election) पर संविधान में एक नया अध्याय जोड़ने और लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों का एक साथ चुनाव 2029 के मध्य तक पूरे देश में कराने की सिफारिश कर सकता है. क्या भारत में चुनाव के पहले लागू हो जाएंगे सीएए के नियम?
'एक राष्ट्र एक चुनाव' क्या है?
'एक देश, एक चुनाव' यानी लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर लंबे समय से बहस चल रही है. इसके समर्थन और विरोध में सरकार और विपक्ष द्वारा तमाम तर्क दिए जाते रहे हैं. राजनीतिक दल इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं. पहले यही समझ लेते हैं कि 'एक देश, एक चुनाव' पर क्या राय दी जाती रही है.
केंद्र की मोदी सरकार देश में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की बात करती है. इरादा केंद्र और सभी राज्यों के चुनाव एक ही दिन या एक निश्चित समय सीमा के भीतर कराने का है. इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले भारत के विधि आयोग द्वारा 'एक राष्ट्र एक चुनाव' के फायदे और नुकसान का मूल्यांकन करने वाली एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधि आयोग एक साथ चुनाव पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट इस हफ्ते सौंप सकता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता में काम कर रहा आयोग एक साथ चुनाव को लेकर एक नए अध्याय को संविधान में जोड़ने के लिए संशोधन की सिफारिश करेगा. इसके अलावा, पैनल अगले पांच सालों में तीन स्टेप में विधान सभाओं की शर्तों को समकालिक करने की भी सिफारिश करेगा.