क्या भारत में चुनाव के पहले लागू हो जाएंगे सीएए के नियम?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत सरकार मार्च के पहले हफ्ते में नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियम लागू कर सकती है. भारतीय मीडिया ने इस बारे में सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट की है. सीएए पारित होने को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए थे.एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियम मार्च से लागू कर सकती है. इसके लागू होने के साथ ही सीएए कानून लागू हो जाएगा. भारतीय मीडिया ने गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार लिखा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियम को अगले एक पखवाड़े के भीतर अधिसूचित किए जाने की संभावना है.

भारत चुनाव आयोग द्वारा अगले महीने आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) की घोषणा करने की संभावना है. एमसीसी को देश में आम चुनाव से पहले लागू किया जाता है, जिसके बाद आम तौर पर सरकार कोई बड़ी घोषणा नहीं करने के लिए बाध्य होती है.

लोक सभा चुनाव के पहले लागू होंगे नियम?

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से लिखा, "मैं आपको तारीख नहीं बता सकता, लेकिन आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने से पहले उन्हें अधिसूचित कर दिया जाएगा."

दिसंबर 2019 में संसद ने सीएए पारित किया था, इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई. सीएए को लेकर देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण लगी पाबंदियां से विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गए थे.

चार साल पहले मंजूरी मिलने के बावजूद इसकी नियमावली अधिसूचित नहीं होने के कारण अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका है.

अमित शाह: कोई भ्रम में ना रहे

भारतीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 10 फरवरी को कहा था कि सीएए को लोक सभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा. नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में शाह ने कहा, "सीएए देश का कानून है. इसे अगले आम चुनाव से पहले अधिसूचित किया जाएगा. इसके बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए."

उन्होंने कहा, "सीएए को लागू करने के नियम 2024 लोक सभा चुनाव से पहले जारी कर दिए जाएंगे. लाभार्थियों को भारतीय राष्ट्रीयता देने करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी."

उन्होंने ने कहा था, "जब बंटवारा हुआ था, उस समय हिंदू, बौद्ध, ईसाई सभी वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आना चाहते थे. कांग्रेस नेताओं ने इन्हें भारत की नागरिकता देने का वादा किया था. यह भी कहा था कि आप सभी का स्वागत है, लेकिन कांग्रेस नेता अपने बयान से पीछे हट गए थे."

"किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी"

सीएए जब संसद से पारित हुआ था तब देश के कई हिस्सों में मुस्लिमों ने इसका कड़ा विरोध किया था और कई शहरों में धरना प्रदर्शन कई हफ्तों तक चला था. अमित शाह का कहना है कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है.

उन्होंने कहा, "हमारे मुस्लिम भाइयों को सीएए के मुद्दे पर भड़काया जा रहा है. सीएए के जरिए किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती. इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सीएए उन लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करके भारत आए और यहां शरण ली. इसका किसी को विरोध नहीं करना चाहिए."

क्या है सीएए

सीएए अधिनियम 2019 पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता के लिए रास्ता खोलेगा, जो लंबे समय से भारत में रह रहे हैं.

केंद्र सरकार सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देना चाहती है जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे.

मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि रजिस्ट्रेशन के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार है और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका परीक्षण भी कर लिया है. सूत्रों ने कहा कि सीएए के तहत नागरिकता प्राप्त करने के नियमों के अनुसार, आवेदकों को अपनी नागरिकता पात्रता साबित करने के लिए आवश्यक प्रमाण-पत्र और साक्ष्य पोर्टल पर अपलोड करने होंगे.

सीएए विवादास्पद क्यों है?

सीएए को लेकर विवाद भी है क्योंकि इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. कानूनी विशेषज्ञ इसे मुसलमानों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हैं.

यह अधिनियम इस धारणा के आधार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है कि इन तीन मुसलमान बहुल देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

इस कानून की काफी आलोचना हुई और इसे पक्षपातपूर्ण बताया गया. इस कानून के खिलाफ देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की और उन्हें जेल में डाल दिया, जिनमें से कई अभी भी कैद में हैं.

विवादास्पद सीएए का कार्यान्वयन 2019 के लोक सभा चुनाव और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुख्य चुनावी एजेंडा था.