कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच तमाम खबरें ऐसी आयी हैं कि देश के कुछ शहरों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो गया है, इस पर आईसीएमआर ने साफ किया है कि अभी यह स्थिति नहीं आयी है. देश में किए गए सीरोसर्वे में भी साफ निकल कर आया है कि देश में प्रति लाख जनसंख्या में मरीजों की संख्या बहुत कम है. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के एम्पावर्ड ग्रुप-1 के चेयरमैन ने कहा है कि संख्या भले ही कम है, लेकिन वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है. अभी यह लंबे समय तक भारत में रहेगा. स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेसवार्ता में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि देश में अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है. इस पर केवल बहस छिड़ी हुई है. लेकिन ट्रांसमिशन नहीं हो, इसके लिए कंटेनमेंट ज़ोन में टेस्टिंग बढ़ाई जा रही है. ज्यादा टेस्ट होंगे तो समय पर कंटेनमेंट का कार्य पूरा किया जा सकेगा. इससे पहले बलराम भार्गव ने सीरोसर्वे की रिपोर्ट जारी की.
सीरोसर्वे की रिपोर्ट:
सीरोसर्वे में देश में 83 जिलों में से कुल 28,595 घरों को चुना गया, जहां से 26,400 लोगों के ब्लड सैम्पल लेकर उनका एंटीबॉडी टेस्ट कराया गया. इसमें जो परिणाम सामने आये, वो काफी सकारात्मक हैं. इनमें से 0.73 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जो पहले कोविड-19 से पहले संक्रमित हो चुके हैं. इसका मतलब साफ है कि हमारा लॉकडाउन बेहद सफल रहा. यानी जो संक्रमण तेजी से फैल सकता था, वह नहीं फैल पाया.
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इससे यह भी साफ है कि देश के अधिकांश लोग कोविड के प्रति अतिसंवेदनशील हैं. रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में संक्रमण का रिस्क गांव की तुलना में ज्यादा है. और तो और झुग्गियों में संक्रमण का खतरा उससे भी अधिक है. देश में संक्रमण से मृत्युदर 0.08 प्रतिशत रही. वहीं कंटेनमेंट जोन में रिस्क बहुत ज्यादा रहता है. यह रिपोर्ट साफ दर्शाती है कि कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन के नियमों को बरकरार रखना होगा. साथ ही चूंकि देश में अभी भी स्थिति संवेदनशील बनी हुई है, इसलिए सभी को सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने की जरूरत है.
भारत में कैसे कराया गया सीरोसर्वे?
सीरोसर्वे में सरकार ने आम जनों के बीच से कुछ लोगों के ब्लड सैम्पल लिए और उसका आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट किया. यदि वह व्यक्ति का टेस्ट पॉजिटव आता है, तो इसका मतलब वह व्यक्ति कोविड-19 वायरस से पहले संक्रमित हुआ था, लेकिन अब ठीक है. इस सर्वे से पता लगाया गया कि कितनी प्रतिशत जनसंख्या वायरस से संक्रमित हुई और किन लोगों में ज्यादा रिसक है. साथ ही यह भी पता लगाया गया कि ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जहां कंटेनमेंट के प्रयासों को और मजबूत करने की आवश्यकता है. इस सर्वे को डब्ल्यूएचओ, एनसीडीसी और राज्य सरकारों के सहयोग से कराया गया.
इसमें देश के शहरों को चार समूहों में बांटा गया. पहला समूह जहां एक भी केस नहीं आया. दूसरा जहां कम संख्या में मामले आये, वहीं तीसरा समूह वो जहां मामलों की संख्या मध्यम रही, जबकि चौथा समूह वो है जहां सबसे अधिक कोविड केस आये. हर समूह में कम से कम 15 जिले चुने गए और हर जिले से 400 के करीब लोगों के ब्लड सैम्पल लिए गए. इन लोगों को गांव, कस्बों, शहरों से रैन्डम तरीके से चुना गया. प्रत्येक गांव से कम से कम 10 वयस्कों को लिया गया. और एक घर से एक ही वयस्क को चुना गया. इस सभी लोगों के शरीर से 3 से 5 मिली रक्त लिया गया और लैब में उनके एंटीबॉडी टेस्ट किए गए. देश में 83 जिलों में से कुल 28,595 घरों को चुना गया, जहां से 26400 लोगों के ब्लड सैम्पल लिए गए.
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सभी को चौकन्ना रहने की जरूरत:
एम्पावर्ड ग्रुप-1 के चेयरमैन व नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि लॉकडाउन के पांच हफ्ते के बाद कोरोना वायरस का प्रकोप 1 प्रतिशत से कम जनसंख्या में देखने को मिला. जितनी तेजी से यह फैलता है, उतनी तेजी से भारत में नहीं फैला है. देश में कोविड से होने वाली मौतों की दर काफी कम है, और अगर हम इसे नीचे रखते हुए इस जंग को जीत जाएं, तो बहुत बड़ी बात होगी. देश में मॉर्टेलिटी रेट अभी 3 प्रतिशत से नीचे चल रहा है.
यह वायरस देश में मौजूद है और कई क्षेत्रों में हम इसे रोकने में सफल हुए हैं, लेकिन आगे यह परिस्थितियां लंबे समय तक चलेंगी. वायरस अभी लंबे समय तक देश में रहेगा. बीमारी को नियंत्रित करने के लिए सरकार के जो दायित्व हैं, वो हम निभाने की पूरी कोशिश करेंगे. लेकिन हम सब को आगे भी चौकन्ना रहना है.