
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है. यह कार्रवाई ऐसे समय पर हुई है जब एजेंसी ने कुछ दिन पहले ही एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 700 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की थी.
AJL, जो नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशक है, एक समय में देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों में से एक था. आज यह कंपनी यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत आती है, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी दोनों की हिस्सेदारी 38-38 प्रतिशत है, यानी वे इसके सबसे बड़े शेयरधारक हैं. दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में मौजूद संपत्तियों में बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस भी शामिल है, जिसे अब ईडी की नजरों में मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा बताया गया है.
PMLA के तहत कार्रवाई
ED ने बताया कि यह चार्जशीट प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 की धारा 8 और अटैच या फ्रीज की गई संपत्तियों पर कब्जा लेने से संबंधित नियमों के तहत की गई है. जांच एजेंसी का कहना है कि संपत्तियों को अवैध तरीके से AJL के नाम पर ट्रांसफर किया गया और इसका लाभ यंग इंडियन को मिला.
रॉबर्ट वाड्रा बोले यह राजनीतिक बदला
इसी बीच सोनिया गांधी के दामाद और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा को भी हरियाणा के शिकोहपुर में जमीन सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने पूछताछ के लिए बुलाया. वाड्रा अपने समर्थकों के साथ ED कार्यालय पहुंचे, जहां उनके समर्थन में सरकार विरोधी नारे भी लगे.
वाड्रा ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा, “जब मैं देशहित की बात करता हूं, मुझे और राहुल को संसद में बोलने से रोका जाता है. यह सब बीजेपी की राजनीतिक प्रतिशोध की नीति है. मुझे 15 बार बुलाया गया, हर बार 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ हुई. हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है.”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे राजनीति में आने से रोकने के लिए पुराने मामले दोबारा उठाए जा रहे हैं. मैं 23,000 दस्तावेज़ इकट्ठा कर रहा हूं, जो आसान नहीं है.”