महाराष्ट्र (Maharashtra) के बीड (Beed) जिले में 4605 महिलाओं का गर्भाशय निकालने का मामला सामने आया है. शिवसेना (Shiv Sena) के सदस्य नीलम गोरहे ने राज्य विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि बीड जिले में गन्ने के खेत में काम करने वाली औरतों के गर्भाशय निकाल लिए गए ताकि माहवारी के चलते उनके काम में ढिलाई न आए और जुर्माना न भरना पड़े. इसका जबाव देते हुए महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने मंगलवार को सदन को बताया कि बीते तीन साल में बीड जिले में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाल दिए गए. बीड जिले के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में गठित समिति ने पाया कि ऐसे आपरेशन 2016-17 से 2018-19 के बीच 99 निजी अस्पतालों में किए गए.
उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए हैं उनमें से कई गन्ने के खेत में काम करने वाली मजदूर नहीं हैं. मंत्री ने सदन को बताया कि जिले में कुदरती तरीके से होने वाले प्रसवों की संख्या सीजेरियन तरीके से होने वाले प्रसवों की संख्या से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव वाली समिति में तीन गाइकोनोलॉजिस्ट और कुछ महिला विधायकों के प्रतिनिधि होंगे. यह तथ्य खोजी समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: बीड में NCP के पूर्व पार्षद पांडुरंग गायकवाड़ की हत्या, जांच में जुटी पुलिस
महाराष्ट्र सरकार ने सभी चिकित्सकों को आदेश दिया था कि वे अनावश्यक रूप से गर्भाशय नहीं निकालें. इससे पहले इस मामले को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग ने अप्रैल महीने में महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया था. आयोग ने कहा था कि वह महिलाओं की इस दयनीय स्थिति और उनके साथ होने वाले इस अपराध को लेकर चिंतित है.
भाषा इनपुट