चमोली: उत्तराखंड का जोशीमठ शहर अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी झेल रहा है. यहां दीवारें दरक रही हैं, जमीन धंस रही है, जमीन तोड़कर कहीं से भी पानी बह रहा है. जोशीमठ (Joshimath) को लेकर अब सभी के सामने एक सवाल है, क्या यह शहर खत्म होने की कगार पर है? हालात बेहद चिंताजनक हैं. सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं उन्हें देखकर आप बर्बादी का दर्द महसूस कर सकते हैं. Uttarakhand: जोशीमठ में जमीन धंसने के बाद, चमोली DM ने NTPC सहित कई बड़े प्रोजेक्ट पर लगाई रोक.
इस शहर में कई लोग बेघर हो चुके हैं और अपने घरों को छोड़कर कहीं और रहने को मजबूर है. घरों पर ऐसी दरारे पडीं हैं जिससे आर-पार दिख रहा है. सड़कों की हालात इतनी खराब है कि चलने में भी डर लगे. कई इमारते यहां टेढ़ी हो चुकी हैं. घरों के दरवाजों के नीचे गैप आ गया क्योंकि जमीन काफी हद तक अंदर धंस चुकी है. इस खूबसूरत शहर का भविष्य क्या होगा कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है.
जोशीमठ में लगातार दरारें बढ़ रही हैं.
Uttarakhand | Land subsidence and cracks in many houses continue in Joshimath. pic.twitter.com/5IUwq0a1zu
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 6, 2023
Something is really not well with #Joshimath pic.twitter.com/dowKaZ4KYV
— Ishita Mishra (@khabrimishra) January 4, 2023
किसी के घर का आंगन नीचे धंस चुका है तो किसी का घर टुकड़ों में बंट चुका है तो कईयों के घर की दीवारों को तोड़कर पानी बह रहा है. आलम ऐसा है कि देखकर ही आपकी रूह कांप उठे... तो सोचिए वहां के स्थानीय लोगों का क्या हाल होगा. सबसे ज्यादा कहर मारवाड़ी इलाके में देखा जा रहा है. यहां कई जगह से जमीन के अंदर से मटमैले पानी का लगातार रिसाव तेज होता जा रहा है. हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट कॉलोनी की दीवारों को फाड़कर पानी का बहाव हो रहा है. Joshimath Sinking: तेजी से धंस रहा है धार्मिक शहर जोशीमठ, खतरे में सैकड़ों लोगों की जान.
जोशीमठ के सैकड़ों लोगों के ऊपर जान का खतरा तो मंडरा ही रहा है लेकिन वे अपने घरों को टूटने का दर्द भी झेल रहे हैं. किसी भी समय किसके घर में दरार पड़ जाए या कौनसी सड़क धंस जाए इसका डर हर समय स्थानीय लोगों में बना रहता है.
स्थानीय लोगों के पास सिर्फ दर्द
मैं #जोशीमठ बोल रहा हूँ।#savejoshimath #जोशीमठ_बचाओ #joshimathsinking #Joshimath pic.twitter.com/haBk9lVxHR
— Ramesh Bhatt (@Rameshbhimtal) January 5, 2023
...अपणूं घार भी अब अपणूं नी च...@MinakshiKandwal ...
सरकार कैसे justify करेगी जोशीमठ के लोगों का ये दर्द?#Joshimathpic.twitter.com/YAzfFwClZs
— Mamta Gusain (@Mamtagusain5) January 6, 2023
Families evacuated from ‘sinking’ Joshimath in Uttarakhand as fresh aquifer bursts - https://t.co/8r9lWiHi1K
#Joshimath @TOIIndiaNews @TOIPlus pic.twitter.com/Gq7lj795zG
— Shivani Azad (@shivaniazadTOI) January 5, 2023
कहां है जोशीमठ
जोशीमठ उतराखंड के चमोली (Chamoli) जिले में है. ‘गेटवे ऑफ हिमालय’ के नाम से मशहूर जोशीमठ को ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है. यह बद्रीनाथ सहित कई तीर्थ केंद्रों का प्रवेश द्वार है. हेमकुंड साहिब, औली, फूलों की घाटी आदि स्थानों का रास्ता भी इसी जोशीमठ से होकर गुजरता है. यह शहर धार्मिक, पौराणिक तो है कि साथ में एतिहासिक भी है. जोशीमठ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक है. यहां से भारत-तिब्बत सीमा महज 100 किलोमीटर दूर है.
खूबसूरत शहर का बुरा हाल
Situation worsening at #Joshimath with each passing day. #Uttarakhand @Anoopnautiyal1 @atulsati1 @RaoJSinghTOI pic.twitter.com/MnsX5QI1HM
— kautilyasTOI (@kautilyasTOI) January 5, 2023
Uttarakhand's Joshimath is getting ready for a big tragedy. Several buildings and home now have huge cracks leaking muddy water. pic.twitter.com/kS9KTXNCYT
— Neha Chauhan (@nehajoychauhan) January 4, 2023
Guys pray for #Joshimath 🙏🥺#joshimathsinking #joshimath #prayforjoshimath #Uttrakhand #devbhumi pic.twitter.com/UHEmqxKaXk
— 🔱हिमांशी मेहरा🔱 (@Himanshi_mehra_) January 5, 2023
#WATCH | Land subsidence and cracks in many houses continue in Uttarakhand's Joshimath. Cracks have appeared on 561 houses in Joshimath, and water seepage continues from underground in JP Colony, Marwadi. pic.twitter.com/vo7IxIh1Xl
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 5, 2023
क्या खत्म हो जाएगा धार्मिक शहर?
बद्रीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर जोशीमठ शहर बिना सोचे समझे निर्माण और कुदरत से खिलवाड़ का खामियाजा भुगत रहा है. हैरान कर देने वाले बात यह है कि बर्बादी का ये सिलसिला अभी शुरू नहीं हुआ है, अभी बस इसकी रफ्तार बढ़ी है. कई सालों से जोशीमठ यह दर्द झेल रहा है लेकिन विकास की आड़ में सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया और शहर कमजोर होता गया. भू-धंसाव की घटनाएं भी अब शुरू नहीं हुई हैं. जोशीमठ लंबे अरसे से धंस रहा है. जोशीमठ में जो वर्तमान में हो रहा है इसकी चेतावनी 50 साल पहले दे दी गई थी.
दरअसल, जोशीमठ पहाड़ों के सदियों पुराने मलबे पर बसा है. जोशीमठ हिमालयी क्षेत्र का पैरा ग्लेशियल जोन है यानी यहां पर कभी ग्लेशियर थे, लेकिन सदियों पहले ग्लेशियर पिघल गए और उनका मलबा (मोरेन) रह गया. ये कई सालों से ही दरक रहा है. इसकी जांच के लिए पहली बार 1976 गढ़वाल के आयुक्त रहे एससी मिश्रा की अध्यक्षता में एक 18 सदस्यीय समिति गठित की गई थी. मिश्रा समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की थी कि जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है. हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के खतरों पर सरकार को आगाह किया था लेकिन इस पर कुछ ध्यान नहीं दिया गया जिसका परिणाम आज जोशीमठ भुगत रहा है.
क्या सिर्फ जोशीमठ में है खतरा?
आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ जोशीमठ ही नहीं उतराखंड के सैकड़ों गांव पर यह खतरा है. हिमालय पर शोध करने वाले जानकार बताते हैं कि उत्तराखंड के कई दूरस्थ क्षेत्र आज जोशीमठ की तरह ही संकटग्रस्त हैं, जहां लोगों का रहना सुरक्षित नहीं है. भविष्य में इन्हें यहां से हटना ही होगा. चमोली के कई गांवों में ऐसा ही खतरा दिख रहा है और लोग विस्थापन की मांग बरसों से कर रहे हैं. चमोली के अलावा पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के कई गांव बेहद संवेदनशील हैं.