चमोली, 5 जनवरी: देवभूमि के ऐतिहासिक शहर जोशीमठ में जमीन धंसने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. बीते साल नवंबर में जमीन धंसने से घरों में दरारें आने की घटनाएं सामने आई थीं. अब यहां धरती फाड़कर जगह-जगह से पानी निकलने लगा है. Joshimath Sinking: धंस रही जमीन, धरती से निकल रहें फव्वारें, मकानों में दरारें, डूबने वाला है पूरा शहर!
जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. जिला प्रशासन ने हेलंग बाईपास और एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्यो पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. यह रोक अग्रिम आदेशों तक जारी रहेगी. जानकारी के मुताबिक, जोशीमठ के मारवाड़ी में पिछले कई महीनों से भूस्खलन की घटनाएं हो रही थीं, जिसके बाद अचानक बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग-58 से लगे जयप्रकाश पावर प्रोजेक्ट की कॉलोनी के अंदर से पानी दीवारों के अंदर से और जमीन के अंदर से फूटकर निकलने लगा.
राज्य सरकार ने बीते साल अगस्त में भी विशेषज्ञों के दल को जोशीमठ भेजा था. दल ने सितंबर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. रिपोर्ट में बताया गया कि जोशीमठ मुख्य रूप से पुराने भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है. ऐसे क्षेत्रों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में भूमि में समाने वाले पानी के साथ मिट्टी बहने से कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. रिपोर्ट में जोशीमठ में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करने, अलकनंदा नदी से हो रहे भू-कटाव की रोकथाम को कदम उठाने, नालों का चैनलाइजेशन व सु²ढ़ीकरण करने, धारण क्षमता के अनुरूप निर्माण कार्यों को नियंत्रित करने के सुझाव दिए गए थे.
आपको बता दें कि करीब 550 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं, जिसकी वजह से स्थानीय लोग सड़कों पर हैं. उधर शासन ने स्थानीय लोगों से विस्थापन को लेकर सुझाव मांगे हैं. जिलाधिकारी चमोली इस मामले में लगातार शासन को रिपोर्ट भेज रहे हैं. और इसी के आधार पर जोशीमठ में आगामी कार्यों की रुपरेखा भी तय की जा रही है.