तिरुवनंतपुरम: सबरीमला मंदिर में माहवारी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने पर चल रहे गतिरोध का समाधान करने के लिए गुरुवार को बुलायी गयी अहम बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई. केरल सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने पर अड़ा रही जिस पर विपक्ष बैठक से चला गया. तीन घंटे तक चली इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रार्थना के लिए सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत से संबंधित उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर को लागू करने के लिए बाध्य है, क्योंकि उस पर कोई स्थगन नहीं लगा है.
विपक्ष ने इस बैठक को ढोंग करार दिया. श्रद्धालुओं के राज्यव्यापी प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने यह बैठक बुलायी थी. उससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर वर्षों पुराने निषेध को समाप्त कर दिया था.
विजयन ने कहा कि सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि 28 सितंबर के फैसले पर कोई स्थगन नहीं लगाया गया है. इसका मतलब है कि 10-50 साल उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने का अधिकार है. यह भी पढ़ें: सबरीमाला विवाद: मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सियासी घमासान जारी, बीजेपी की रथयात्रा आज से
कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और भाजपा के प्रतिनिधि इस अहम बैठक से चले गए. यह सर्वदलीय बैठक दो महीने तक चलने वाले तीर्थाटन सीजन के लिए मंदिर के 17 नवंबर को खुलने से पहले बुलायी गयी थी. इस सीजन में लाखों श्रद्धालुओं के सबरीमला मंदिर में पहुंचने की संभावना है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने सरकार पर अड़ियल होने का आरोप लगाया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पी एस श्रीधरण पिल्लै ने बैठक को समय की बर्बादी बताया. इस बीच, मंदिर से संबद्ध पंडलाम राज परिवार ने विजयन से कहा कि मंदिर के रीति-रिवाज और परंपराओं के संबंध में उसके रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है और वह युवतियों के प्रवेश के विरुद्ध है.
परिवार के सदस्य शशिकुमार वर्मा और तांत्री (प्रमुख पुरोहित) कंडारारु राजीवारु ने इस मुद्दे पर अलग से हुई बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री के सामने यह राय रखी. वर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम युवतियों के प्रवेश के विरुद्ध हैं और इस रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.’’
राजीवारु ने कहा, ‘‘हम युवतियों से बस सबरीमला नहीं आने की अपील कर सकते हैं.’’ मुख्यमंत्री ने उन्हें अदालत के आदेश के संबंध सरकार की सीमाओं से अवगत कराया. सर्वदलीय बैठक में विजयन ने इस मांग को खारिज कर दिया कि सरकार अदालत से उसके आदेश को लागू करने के लिए समय मांगे क्योंकि कई समीक्षा याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि सरकार यह नहीं कह सकती है कि धार्मिक विश्वास संविधान से ऊपर है. सरकार ने कुछ सुझाव रखे जिनमें युवतियों की पूजा अर्चना के लिए सभी दिनों के बजाय कुछ दिन तय कर दिए जाएं, इस पर सभी पक्षों को चर्चा करना है.
उन्होंने कहा कि माकपा की अगुवाई वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार अड़ियल नहीं बल्कि अदालत का आदेश लागू करने के दायित्व से बंधी है. चेन्निथला ने कहा कि सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है और उसने विपक्ष के सुझावों को मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के जवाब के बाद हमने बैठक से चले जाने का निर्णय लिया। बैठक बस ढोंग थी, सरकार किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं थी. ’’ यह भी पढ़ें: सबरीमाला विवाद: केरल हाईकोर्ट हुआ सख्त, कहा- मामले में विरोध प्रदर्शन अस्वीकार्य
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत यूडीएफ श्रद्धालुओं के साथ है और सबरीमला में शांति और सद्भाव चाहती है लेकिन सरकार का लक्ष्य तीर्थाटन को ‘नष्ट’ करना है जहां हर साल दुनियाभर से लाखों लोग आते हैं. उन्होंने कहा कि यह श्रद्धालुओं पर सरकार द्वार युद्ध की घोषणा है. मुख्यमंत्री और सरकार सबरीमला में किसी भी हिंसा या अप्रिय घटना के लिए जिम्मेदार होंगे.
बीजेपी नेता पिल्लै ने आरोप लगाया कि विजयन माकपा प्रदेश मुख्यालय ए के जी सेंटर द्वारा लिखी पटकथा के साथ आए थे और केरल को ‘स्टालिन का रुस’ बनाने का प्रयास चल रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकतांत्रिक ढंग से सरकार के फैसले का विरोध करेंगे. ’’
उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक सभी का विचार जानने और हल पर पहुंचने के लिए बुलायी गयी थी, लेकिन सरकार ने सुझावों को ठुकरा दिया. उधर वर्मा ने कहा कि सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बैठक हुई और मुख्यमंत्री ने कुछ सुझाव रखे.
वर्मा और प्रधान पुरोहित ने कहा, ‘‘हम उनका परीक्षण करेंगे और चर्चा करेंगे एवं निर्णय लेंगे.’’
अदालती आदेश को लागू करने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य में कांग्रेस, भाजपा, आरएसएस और दक्षिणपंथी संगठनों के कई प्रदर्शन हो चुके हैं. यह भी पढ़ें: पहले दिन सबरीमाला मंदिर में दाखिल नहीं हो सकीं महिलाएं, दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी, पुलिस अलर्ट
अदालत के आदेश के बाद पिछले महीने से दो बार यह मंदिर खुला तथा कुछ महिलाओं ने उसमें प्रवेश की कोशिश की परंतु श्रद्धालुओं और विभिन्न हिंदू संगठनों के क्रुद्ध प्रदर्शन के चलते वे प्रवेश नहीं कर पायीं.
इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने कहा है कि वह छह अन्य महिलाओं के साथ 17 नवंबर को मंदर जाएंगी. उन्होंने राज्य सरकार से सुरक्षा मांगी है. अदालती आदेश का विरोध कर रहे संगठनों ने कहा है कि वे मंदिर में प्रवेश की युवतियों की किसी भी कोशिश का गांधीवादी तरीके से विरोध करेंगे.