केरल: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सबरीमाला मंदिर पर जारी सियासी घमासान के बीच बीजेपी गुरुवार से यहां सबरीमाला संरक्षण रथ यात्रा निकालने जा रही है. केरल में सबरीमाला मंदिर के रीति रिवाजों और परंपरा की रक्षा के लिए बीजेपी सड़क पर उतर रही है. बीजेपी की यह रथ यात्रा कासरगोड से शुरू होकर 6 दिन बाद 13 नवंबर को सबरीमाला मंदिर के नजदीक एरुमेलि में खत्म होगी. कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इस रथयात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. सबरीमाला मंदिर की परंपरा और रिवाजों को बचाने का दावा करते हुए बीजेपी यह रथयात्रा निकाल रही है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई 'सबरीमाला बचाओ' रथयात्रा का नेतृत्व करेंगे. इसके अलावा भारत धर्म जनसेना अध्यक्ष टी. वेल्लापल्ली शामिल होंगे, जो प्रमुख पिछड़े हिंदू इझावा समुदाय के नेता वेल्लपल्ली नातेसन के पुत्र होंगे.
More than 90% of women are protesting against it. It is high time, Kerala CM takes necessary action and approach the Supreme Court to stop entry of women to the temple. Our party is not opposing SC's verdict but people's emotions should be respected: BS Yeddyurappa,BJP #Karnataka pic.twitter.com/SmQguLQKnw
— ANI (@ANI) November 8, 2018
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का कहना है कि राज्य में 90 फीसदी से ज्यादा महिलाए मंदिर में महिलओं के प्रवेश का विरोध कर रहीं हैं. येदियुरप्पा ने कहा कि हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अपमान नहीं कर रही है लेकिन हम जन भावना का आदर करते हैं.
इस यात्रा में पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के शामिल होने की संभावना है. 'सबरीमाला बचाओ' रथयात्रा का मार्ग ऐसा बनाया गया है, जिसके रास्ते में 12 ईसाई समुदाय के संस्थान और 12 इस्लामी केंद्र पड़ेंगे. पार्टी नेता ईसाई बिशप के घरों और इस्लामी केंद्र का दौरा करने की योजना बनाई है. पिछले दिनों बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा था कि यह लड़ाई आस्तिक और नास्तिकों के बीच की है. पिल्लई ने कहा था, 'मुख्यमंत्री पी. विजयन जिस तरह से सबरीमाला मुद्दे को हैंडल कर रहे हैं, उससे जल्द ही प्रदेश पूरी तरह कम्युनिस्ट हो जाएगा.
गौरतलब है कि मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया जा रहा है. सबरीमाला मंदिर की पुरानी परंपरा है कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है.