उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 सोमवार से होगा लागू, ग्राहकों को गुमराह करना पड़ेगा महंगा, भारी-भरकम जुर्माना के साथ होगी जेल
प्रतीकात्मक तस्वीर (File Photo)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) के अधिकांश प्रावधानों को अधिसूचित कर दिया है, जो देशभर में 20 जुलाई से लागू हो जाएगा. इसके तहत अनुचित व्यापार पद्धतियों के कारण उपभोक्ता को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी. इसका उद्देश्‍य उपभोक्‍ता विवादों का निपटारा कर उपभोक्‍ताओं के हितों की रक्षा करना है. मोदी सरकार ने विधेयक में नियमों को सरल बनाया है. इसके जरिए उपभोक्‍ताओं को त्‍वरित न्‍याय मिलेगा और उनकी शिकायते सरल प्रक्रिया से निपट जाएगी.

विधेयक में केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के गठन का प्रस्‍ताव है. प्राधिकरण का उद्देश्‍य उपभोक्‍ता के अधिकारों को बढ़ावा देना और कार्यान्‍वयन करना है. प्राधिकरण को शिकायत की जांच करने और आर्थिक दंड लगाने का अधिकार है. यह गलत सूचना देने वाले विज्ञापनों, व्‍यापार के गलत तरीकों तथा उपभोक्‍ताओं के अधिकार के उल्‍लंघन के मामलों में लागू होगा. प्राधिकरण को गलतफहमी पैदा करने वाले या झूठे विज्ञापनों के निर्माताओं या उनको समर्थन करने वालों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना तथा दो वर्ष कारावास का दंड लगाने का अधिकार होगा. उपभोक्ता सेवाओं में 20 हजार लोगों को अस्थायी आधार पर नौकरी देगी अमेजन इंडिया

विधेयक की मुख्य विशेषताएं:

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के अधिकार-

  • उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और संस्थान की शिकायतों की जांच करना
  • असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेना
  • अनुचित व्‍यापार और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना
  • भ्रामक विज्ञापनों के निर्माता / समर्थक/ प्रकाशक पर जुर्माना लगाना

सरलीकृत विवाद समाधान प्रक्रिया-

  • दाखिल करने के 21 दिनों के बाद शिकायत की स्‍वत: स्वीकार्यता
  • उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने आदेशों को लागू कराने का अधिकार
  • दूसरे चरण के बाद केवल कानून के सवाल पर अपील का अधिकार
  • उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में आसानी
  • निवास स्थान से फाइलिंग की सुविधा
  • ई फाइलिंग
  • सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा

उत्पाद की जिम्‍मेदारी

यदि कोई उत्‍पाद या सेवा में दोष पाया जाता हैं तो उत्पाद निर्माता/विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति के लिए जिम्मेदार माना जाएगा. दोषपूर्ण उत्‍पाद का आधार:

  • निर्माण में खराबी
  • डिजाइन में दोष
  • वास्‍तविक उत्‍पाद, उत्‍पाद की घोषित विशेषताओं से अलग है
  • प्रदान की जाने वाली सेवाएँ दोषपूर्ण हैं

नया विधेयक- उपभोक्ताओं को लाभ

वर्तमान में न्याय के लिए उपभोक्‍ता के पास एक ही विकल्‍प है, जिसमें काफी समय लगता है. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के माध्यम से विधेयक में त्‍वरित न्‍याय की व्‍यवस्‍था की गई है.

  • भ्रामक विज्ञापनों और उत्पादों में मिलावट की रोकथाम के लिए कठोर सजा का प्रावधान
  • दोषपूर्ण उत्पादों या सेवाओं को रोकने के लिए निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं पर जिम्‍मेदारी का प्रावधान
  • उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में आसानी और प्रक्रिया का सरलीकरण
  • मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के शीघ्र निपटान की गुंजाइश
  • नए युग के उपभोक्ता मुद्दों- ई कॉमर्स और सीधी बिक्री के लिए नियमों का प्रावधान

उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) द्वारा 8 जुलाई, 2019 को संसद के उच्च सदन में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 पेश किया गया था. यह 30 जुलाई, 2019 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था और बाद में 6 अगस्त, 2019 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था. इस विधेयक को 9 अगस्त को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) से मंजूरी मिली.