‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम, 101 सैन्य उपकरणों का आयात किया बैन
हेरोन ड्रोन (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली: भारत ने रक्षा निर्माण में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए हल्के टैंकों, नौसेना उपयोगिता हेलीकॉप्टरों से लेकर ड्रोन तक, 101 अन्य सैन्य उपकरणों और प्रणालियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को 101 वस्तुओं की तीसरी स्वदेशीकरण सूची जारी की, जिसमें प्रमुख उपकरण और प्लेटफॉर्म शामिल हैं. सैन्य मामलों के विभाग, रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा अधिसूचित सूची, उन उपकरणों/प्रणालियों पर विशेष जोर देती है, जिन्हें विकसित किया जा रहा है. इन हथियारों और प्लेटफार्मों को दिसंबर 2022 से दिसंबर 2027 तक स्वदेशी बनाने की योजना है. इन 101 वस्तुओं को अब से रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 के प्रावधानों के अनुसार स्थानीय स्रोतों से खरीदा जाएगा.

रक्षा मंत्रालय ने कहा, "आज का कदम पहली सूची (101) और दूसरी सूची (108) के जारी होने के बाद सामने आया है, जिसे क्रमश: 21 अगस्त, 2020 और 31 मई, 2021 को जारी किया गया था." गोला-बारूद के आयात प्रतिस्थापन (किसी चीज के स्थान पर), जो एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, पर विशेष बल दिया गया है.

स्थानीय स्तर पर निर्मित होने वाले 310 रक्षा उपकरणों वाली इन तीन सूचियों को जारी करने के पीछे की मंशा, घरेलू उद्योग की क्षमताओं में सरकार के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है कि वह सशस्त्र बलों की मांग को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के उपकरणों की आपूर्ति कर सकती है.

इससे प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमताओं में नए निवेश को आकर्षित करके स्वदेशी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) की क्षमता प्रोत्साहित होने की संभावना है. यह घरेलू उद्योग को सशस्त्र बलों की प्रवृत्तियों और भविष्य की जरूरतों को समझने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा.

तीसरी सूची में हल्के वजन वाले टैंक, माउंटेड आर्टि गन सिस्टम (155 एमएमएक्स 52कैल), पिनाका एमएलआरएस के लिए गाइडेड एक्सटेंडेड रेंज (जीईआर) रॉकेट, नेवल यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एनयूएच), नेक्स्ट जेनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स (एनजीओपीवी) जैसे अत्यधिक जटिल सिस्टम, सेंसर, हथियार और गोला-बारूद शामिल हैं.

इसके अलावा तीसरी सूची में अत्यधिक जटिल सिस्टम, सेंसर, हथियार और गोला बारूद जैसे - एमएफ स्टार (जहाजों के लिए रडार), मध्यम दूरी की एंटी-शिप मिसाइल (नौसेना वैरिएंट), एडवांस लाइट वेट टॉरपीडो (शिप लॉन्च), हाई एंड्योरेंस ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल, मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस अनमैन्ड एरियल व्हीकल (मेल यूएवी), एंटी-रेडिएशन मिसाइल, लॉटरिंग मुनिशन और अन्य शामिल हैं.

इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए, सिंह ने तीसरी सूची को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के ²ष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे 360-डिग्री प्रयासों का प्रतीक बताया.

उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह नई सूची घरेलू उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण साबित होगी और देश की अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण क्षमता को उच्च स्तर पर ले जाएगी.

यह तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी), सेवा मुख्यालय (एसएचक्यू) और निजी उद्योग जैसे सभी हितधारकों के साथ गहन परामर्श के बाद तैयार की गई है.

सिंह ने आश्वासन दिया कि पिछली दो सूचियों की तरह ही तीसरी सूची में दी गई समय सीमा का भी पालन किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय और सेवा मुख्यालय उद्योग को हाथ में लेने सहित एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के सरकार के प्रयास को दोहराते हुए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे, जो रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करता है और निर्यात को प्रोत्साहित करता है.

डीआरडीओ ने 25 उद्योगों के साथ 30 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) समझौतों पर भी हस्ताक्षर करके स्थानीय विनिर्माण को मजबूत करने पर जोर दिया. सिंह ने देश भर में फैली 16 डीआरडीओ प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित 21 प्रौद्योगिकियों से संबंधित समझौतों को सौंपा.

अब तक, डीआरडीओ ने भारतीय उद्योगों के साथ 1,430 से अधिक टीओटी समझौते किए हैं, जिनमें से पिछले दो वर्षों में लगभग 450 टीओटी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

डीआरडीओ और उद्योग को बधाई देते हुए, सिंह ने कहा कि उद्योग को 30 टीओटी समझौते सौंपना डीआरडीओ द्वारा विकसित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों में भारतीय उद्योगों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है.

उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह रक्षा प्रणालियों और प्लेटफार्मों में विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करेगा और निजी क्षेत्र भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार द्वारा दिए जा रहे अवसरों का पूरा उपयोग करेगा.

घरेलू उद्योग की भागीदारी को अधिकतम करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों को सूचीबद्ध करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में घरेलू खरीद के लिए निर्धारित किया गया है. अन्य उपायों में उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत और आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण शामिल है.

सिंह ने कहा कि बाधाओं के बावजूद, भारत ने अपने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के धैर्य और ²ढ़ संकल्प के कारण, परमाणु प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में हमेशा अपने दम पर असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है.

उन्होंने कहा कि इसी संकल्प के साथ, भारत जल्द ही एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तित हो जाएगा, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक प्रमुख शक्ति होने के अलावा घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करता है.

उन्होंने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता और निर्यात को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया और इसे एक महत्वपूर्ण पहलू बताया, जो देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के अलावा अर्थव्यवस्था के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूत करता है.

सिंह ने रक्षा उपकरणों और प्लेटफॉर्म प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का आह्वान करते हुए जोर देकर कहा कि विदेशी सॉफ्टवेयर कोड के साथ सिस्टम का आयात सुरक्षा तंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि यह भेद्यता की खिड़की खोलता है.

स्वदेशीकरण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "आज, रक्षा का दायरा केवल सीमाओं तक ही सीमित नहीं है. अब कोई भी विभिन्न संचार विधियों की मदद से किसी देश की सुरक्षा प्रणाली में सेंध लगा सकता है. सिस्टम कितना भी मजबूत क्यों न हो, अगर इसे किसी दूसरे देश से जोड़ा जाता है, तो सुरक्षा भंग होने की संभावना रहती है."

गोला-बारूद के घरेलू उत्पादन पर जोर देते हुए, क्योंकि यह युद्धों के दौरान निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करता है, सिंह ने इस तथ्य की सराहना की कि पहली दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों में गोला-बारूद के आयात प्रतिस्थापन पर पूरा ध्यान दिया गया है.

उन्होंने कहा कि जब घरेलू रक्षा उद्योग को रक्षा वस्तुओं के ऑर्डर दिए जाते हैं, तो यह देश भर में फैले इस क्षेत्र से जुड़े एमएसएमई में काम करने वाले लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है.

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता का मतलब दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग-थलग काम करना नहीं है, बल्कि देश के भीतर उनकी सक्रिय भागीदारी के साथ काम करना है.

उन्होंने कहा, "यहां तक कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, हमारे पास प्रावधान हैं, जो विदेशी कंपनियों को निवेश, सहयोग, संयुक्त उद्यम स्थापित करने और लाभ कमाने के लिए उपयुक्त अवसर और वातावरण प्रदान करते हैं." मंत्री ने एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयास की पुष्टि की, जहां सार्वजनिक, निजी क्षेत्र और विदेशी संस्थाएं मिलकर काम कर सकें और भारत को रक्षा निर्माण में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनने में मदद कर सकें.