Madhya Pradesh: 9 सीटों पर हार के कारण को तलाशने में जुटी बीजेपी
सीएम शिवराज सिंह चौहान (Photo Credits: Facebook)

भोपाल, 13 नवंबर: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में हुए विधानसभा के उपचुनाव में भले ही भाजपा (BJP) ने 28 में से 19 सीटें जीत ली हो मगर नौ सीटों पर उसे हार मिली. भाजपा बड़ी जीत के बाद भी संतुष्ट नहीं है. पार्टी 9 सीटों पर हार के कारण खोज रही है. इसके लिए जमीनी रिपोर्ट भी जुटाई जा रही है. राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुए थे इनमें से 9 सीटें ग्वालियर चंबल की मुरैना (Muraini), दिमनी (Damni) और सुमावली (Sumavali), वही भिंड (Bhind) की गोहद (Gohad), ग्वालियर (Gwalior) जिले में ग्वालियर पूर्व तथा डबरा (Dubra), शिवपुरी (Shivpuri) जिले में करैरा (Karera), गुना (Guna) की ब्यावरा (Byavara) के अलावा आगर मालवा (Malva) में भाजपा को हार मिली है.

राज्य के उप-चुनाव में जिन 9 सीटों पर भाजपा को हार मिली उनमें से 8 सीटें ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) इलाके से आती हैं और भाजपा ने इन क्षेत्रों में जीत के लिए पूरा जोर भी लगाया था, उसके बावजूद पार्टी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई. पार्टी के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि मुरैना जहां से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) सांसद हैं, उस जिले की पांच सीटों में से तीन पर भाजपा हार गई है और सिर्फ दो स्थानों पर ही जीत दर्ज कर सकी है.

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भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने ग्वालियर-चंबल इलाके सहित प्रदेश की उस हर सीट पर जीतने की रणनीति बनाई थी, जहां उप चुनाव हो रहे थे. ग्वालियर-चंबल के अलावा बाकी क्षेत्रों में तो पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप परिणाम मिले मगर ग्वालियर-चंबल संभाग में वैसा नहीं हुआ जैसा पार्टी चाहती थी. यही कारण है कि पार्टी ने समीक्षा के साथ जमीनी स्तर से वह रिपोर्ट मंगाई है, जिससे पता चल सके कि हार का कारण क्या है.

 

सूत्रों की मानें तो पार्टी में भितरघात भी हुआ है यह भितरघात किसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा था या पार्टी में दलबदल करने वालों को उम्मीदवार बनाए जाने का असंतोष था, इस पर भी पार्टी की खासी नजर है.

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ग्वालियर-चंबल इलाके में भाजपा को अपेक्षा के अनुरूप सफलता न मिलना कई सवाल तो खड़े कर ही रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि जिन स्थानों पर ज्यादा असंतोष था वहां तो भाजपा ने साख बचा ली और जीत गई, मगर जिन स्थानों को पार्टी थोड़ा सुरक्षित मान कर चल रही थी, वहां हार मिली.

यही कारण है कि पार्टी को हार के कारणों को सोचना पड़ रहा है और मंथन करना पड़ रहा है. भाजपा ने बड़ी जीत के बाद भी मंथन का दौर जो शुरु किया है वह यह बताता है कि भाजपा के भीतर जीत की भूख कितनी ज्यादा है.