बलूचिस्तान में अब बिना कोर्ट में पेशी के 90 दिन की कैद! पाकिस्तान में नए एंटी-टेरर बिल पर मचा बवाल

Balochistan Anti-Terrorism Law 2025: 5 जून 2025 को बलूचिस्तान की प्रांतीय विधानसभा ने एक नया और विवादास्पद कानून पास किया है, जिसका नाम 'आतंकवाद विरोधी (संशोधन) विधेयक 2025' है। इस कानून ने बलूचिस्तान के साथ-साथ पूरे पाकिस्तान में मानवाधिकारों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. आसान शब्दों में कहें तो यह कानून सुरक्षा बलों, विशेष रूप से पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ISI को बहुत ज़्यादा शक्तियां देता है.

क्या है इस नए कानून में?

इस कानून का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी बलूच नागरिक को शक के आधार पर तीन महीने तक बिना किसी कोर्ट में पेशी के हिरासत में रखने की इजाज़त देता है. इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद उसे तीन महीने तक जज के सामने पेश करने की ज़रूरत नहीं होगी.

इसके अलावा, इन मामलों की जांच पुलिस और खुफिया एजेंसियों की एक संयुक्त टीम करेगी, जिसे 'ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम' (JIT) कहा जाएगा.

क्यों मचा है बवाल?

इस कानून के पास होते ही मानवाधिकार संगठनों और कई राजनीतिक नेताओं ने इसकी कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि यह कानून लोगों के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है. आलोचकों को डर है कि इस कानून का गलत इस्तेमाल निर्दोष बलूच लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है जो अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं.

मुख्य चिंताएं ये हैं:

  • मौलिक अधिकारों का हनन: किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए लंबे समय तक हिरासत में रखना गैर-कानूनी है और यह मानवाधिकारों के खिलाफ है.
  • दुरुपयोग की आशंका: आलोचकों का कहना है कि 'आतंकवाद' की आड़ में सरकार अपने विरोधियों और आलोचकों की आवाज़ को दबाने के लिए इस कानून का इस्तेमाल कर सकती है. बलूचिस्तान में पहले से ही 'लापता लोगों' (forced disappearances) का मुद्दा बहुत गंभीर है, और यह कानून उस समस्या को और बढ़ा सकता है.
  • पुलिस स्टेट का खतरा: कई नेताओं ने चेतावनी दी है कि यह कानून बलूचिस्तान को एक 'पुलिस स्टेट' में बदल सकता है, जहां नागरिकों के अधिकार लगभग खत्म हो जाएंगे और सुरक्षा बलों का पूरी तरह से नियंत्रण होगा.

सरकार का क्या कहना है?

दूसरी तरफ, बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने इस कानून का बचाव किया है. उनका कहना है कि 'लापता लोगों' के मुद्दे का गलत इस्तेमाल राज्य के खिलाफ माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है. उनके अनुसार, यह कानून आतंकवाद से लड़ने और ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए ज़रूरी है. सरकार का दावा है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसके परिवार और वकील से मिलने दिया जाएगा.

आगे क्या होगा?

यह कानून ऐसे समय में आया है जब बलूचिस्तान में पहले से ही तनाव का माहौल है. दशकों से बलूच राष्ट्रवादी समूह अपने अधिकारों और स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस तरह के कठोर कानून लोगों में सरकार के प्रति अविश्वास को और बढ़ाएंगे और स्थिति को सुधारने के बजाय और बिगाड़ सकते हैं. इस कानून ने बलूचिस्तान में बेचैनी और डर का माहौल पैदा कर दिया है.