केंद्रीय कमेटी करेगी #MeToo पर लग रहे आरोपों की जांच, 4 रिटायर्ड जजों की समिति का जल्द होगा गठन
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: File Photo)

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर चल रहे ‘मी टू’ अभियान में हर रोज महिलाएं अपने ऊपर हुए कथित यौन उत्पीड़न का खुलासा कर रही है. कई महिलाए तो समाज की जानी मानी हस्ती है जिन्होंने अपने वर्षों पुराने अनुभवों को सार्वजनिक तौर पर साझा किया. जिसमें से कुछ मामलें बेहद गंभीर है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने मी टू मामलों की जांच करने के लिए कमेटी गठित करने का फैसला किया है.

जानकारी के मुताबिक आरोपों की जांच के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सेवानिवृत न्यायाधीशों की चार सदस्यीय समिति बनाएगी. यह समिति जल्द ही बनाई जाएगी. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने शुक्रवार को कहा कि वे ‘मी टू’ अभियान के तहत हर एक शिकायतकर्ता की पीड़ा और सदमा समझ सकती हैं.

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ न्यायाधीशों और कानूनी विशेषज्ञों वाली समिति ऐसे सभी मुद्दों को देखेगी. इससे पहले मेनका ने कहा था कि किसी के भी खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि आमतौर पर महिलाएं इस बारे में बोलने से डरती हैं. इस बीच कई लोगों ने इस अभियान पर सवाल उठाते हुए पूछा कि यदि किसी पुरुष पर महिला के कथित यौन उत्पीड़न की शिकायत झूठी साबित हो और इसके कारण उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा धूमिल हो जाए तो क्या होगा?

गौरतलब है कि हाल ही में अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा 2008 में एक फिल्म के सेट पर अभिनेता नाना पाटेकर द्वारा बदसलूकी का आरोप लगाया जाने के बाद भारत में ‘मी टू’ अभियान ने जोर पकड़ा. इसमें केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर और अभिनेता आलोक नाथ के अलावा कई नाम सामने आए. कांग्रेस भी इस चर्चा में शामिल हो गई. उसने मांग की कि केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर यौन उत्पीड़न के आरोपों पर संतोषजनक स्पष्टीकरण दें या तत्काल इस्तीफा दें.

वहीं गायक कैलाश खेर, रघु दीक्षित, कमेंटेटर सुहेल सेठ और महिला कॉमिक स्टार अदिति मित्तल भी आज ‘मी टू’ की चपेट में आए, जिनपर यौन उत्पीड़न, बदसलूकी, गलत तरीके से छूने जैसे आरोप लगे. ‘मी टू’ अभियान की चपेट में गुरुवार को सुभाष घई भी आए, उनके खिलाफ महिला का आरोप है कि घई ने उसके पेय पदार्थ में नशीला पदार्थ मिला दिया और उसका यौन उत्पीड़न किया.