नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर चल रहे ‘मी टू’ अभियान में हर रोज महिलाएं अपने ऊपर हुए कथित यौन उत्पीड़न का खुलासा कर रही है. कई महिलाए तो समाज की जानी मानी हस्ती है जिन्होंने अपने वर्षों पुराने अनुभवों को सार्वजनिक तौर पर साझा किया. जिसमें से कुछ मामलें बेहद गंभीर है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने मी टू मामलों की जांच करने के लिए कमेटी गठित करने का फैसला किया है.
जानकारी के मुताबिक आरोपों की जांच के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सेवानिवृत न्यायाधीशों की चार सदस्यीय समिति बनाएगी. यह समिति जल्द ही बनाई जाएगी. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने शुक्रवार को कहा कि वे ‘मी टू’ अभियान के तहत हर एक शिकायतकर्ता की पीड़ा और सदमा समझ सकती हैं.
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ न्यायाधीशों और कानूनी विशेषज्ञों वाली समिति ऐसे सभी मुद्दों को देखेगी. इससे पहले मेनका ने कहा था कि किसी के भी खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि आमतौर पर महिलाएं इस बारे में बोलने से डरती हैं. इस बीच कई लोगों ने इस अभियान पर सवाल उठाते हुए पूछा कि यदि किसी पुरुष पर महिला के कथित यौन उत्पीड़न की शिकायत झूठी साबित हो और इसके कारण उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा धूमिल हो जाए तो क्या होगा?
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