देश का यह सरकारी स्कूल बन रहा है शिक्षा जगत में प्रेरणा का स्रोत, सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक होती है जमकर पढ़ाई

सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों में ये आम धारणा रहती है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था लचर होती है. इस वजह से लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए नही भेजतें हैं.

देश Rakesh Singh|
देश का यह सरकारी स्कूल बन रहा है शिक्षा जगत में प्रेरणा का स्रोत, सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक होती है जमकर पढ़ाई
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Wikimedia Commons)
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देश का यह सरकारी स्कूल बन रहा है शिक्षा जगत में प्रेरणा का स्रोत, सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक होती है जमकर पढ़ाई

सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों में ये आम धारणा रहती है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था लचर होती है. इस वजह से लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए नही भेजतें हैं.

देश Rakesh Singh|
देश का यह सरकारी स्कूल बन रहा है शिक्षा जगत में प्रेरणा का स्रोत, सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक होती है जमकर पढ़ाई
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Wikimedia Commons)

सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों में ये आम धारणा रहती है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था लचर होती है. इस वजह से लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए नही भेजतें हैं. लेकिन इस मनोधारणा को तोड़ते हुए चंद्रपुर (Chandrapur) जिले के पालडोह (Paldoh) गांव में एक ऐसा स्कूल भी है जो सुबह 5 बजे खुलता है और रात 8 बजे बंद होता है. जी हां चंद्रपुर जिले का यह सरकारी स्कूल इस मनोधारणा को तोड़ रहा है. जहां एक ओर ऐसा कहा जाता है कि सरकारी स्कूल में बच्चे पढ़ाई न होने से नहीं जाते हैं, वहीं यह स्कूल पढ़ाई के अलावा योग और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराकर सूबे में नई मिसाल पेश कर रहा है.

चंद्रपुर जिले के पालडोह गांव में जिला परिषद स्कूल का यह स्कूल तड़के 5 बजे खुलता है और रात 8 बजे बंद होता है. स्कूल में पहली कक्षा से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई होती है. यहां पढ़ने वाले छात्र- छात्राओं के लिए तीन टीचर मौजूद है. स्कूल में केवल दो ही कमरें है जबकि छात्रों की संख्या 123 है. कमरों की कमी की वजह से कक्षाएं कभी पेड़ के नीचे तो कभी सड़क पर चलाई जाती हैं.

यह भी पढ़ें- इस सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने वाले छात्रों को मिल रहा है सोने का सिक्का और 5 हजार रूपये

बता दें कि यहां के गांव के लोगों ने स्कूल में कमरें बनाने के लिए दो लाख रुपये का चंदा जुटाकर स्कूल प्रशासन को दिए ताकि बच्चों के लिए क्लास रूम बनाए जा सकें. यहां रविवार और छुट्टी वाले दिन सामान्य ज्ञान और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं कराई जाती है. प्रिंसिपल राजेंद्र परतेकी के मुताबिक जब शिक्षक घर चले जाते हैं, बच्चे तब भी पढ़ाई करते रहते हैं. इसके लिए ग्रामीणों को जिम्मेदारी दी गई है.

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