मैंगो डिप्लोमेसी: चीन-बांग्लादेश रिश्तों में नई मिठास
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

बांग्लादेश ने पहली बार चीन को आम की खेप भेजी है, जो दोनों देशों के गहरे होते व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों की प्रतीक मानी जा रही है. यह पहल भारत-बांग्लादेश संबंधों में आई तल्खी के बीच चीन के बढ़ते प्रभाव को भी दिखाती है.बांग्लादेश से चीन को आम की पहली खेप रवाना होते ही दो देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों की एक नई तस्वीर सामने आई है. ढाका हवाई अड्डे पर एक सादे समारोह में चीन के राजदूत याओ वेन और बांग्लादेशी मंत्रियों ने इस ‘ऐतिहासिक पल' को साझा किया. राजदूत याओ ने कहा, "बांग्लादेश के प्रीमियम आमों की पहली खेप को रवाना करते देखना एक बहुत ही खुशी का मौका है. मुझे विश्वास है कि यह शुरुआत है, आगे और संभावनाएं खुलेंगी.”

यह खेप भले ही प्रतीकात्मक हो क्योंकि शुरुआती चरण में केवल 50 टन आम चीन भेजे गए हैं, लेकिन यह संकेत है कि बांग्लादेश की विदेश नीति और व्यापार प्राथमिकताएं अब नया रुख ले रही हैं.

याओ ने बांग्लादेशी मंत्रियों की मौजूदगी में एयरपोर्ट पर समारोह के दौरान कहा, "राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कई अवसरों पर इस बात पर जोर दिया है कि चीन के खुलेपन का दरवाजा कभी बंद नहीं होगा, बल्कि और अधिक खुलेगा. मुझे पूरा विश्वास है कि बांग्लादेशी आमों का चीन को निर्यात सिर्फ एक शुरुआत है.”

2024 की उथल-पुथल और बदली प्राथमिकताएं

दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश की यह पहल ऐसे समय में आई है जब देश अभी भी 2024 की राजनीतिक उथल-पुथल के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है. शेख हसीना को अपनी सरकार छोड़कर भागना पड़ा, जिसके बाद वह एक हेलिकॉप्टर से भारत पहुंचीं और तब से वहीं रह रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि उसके बाद अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस ने देश की विदेश नीति को चीन की ओर मोड़ दिया है. उनका पहला आधिकारिक दौरा भी बीजिंग था, जो एक स्पष्ट संदेश था कि बांग्लादेश अब भारत के बजाय चीन को प्राथमिकता दे रहा है.

भारत बांग्लादेश का भौगोलिक रूप से सबसे बड़ा पड़ोसी है. लेकिन दोनों देशों के साथ रिश्तों में अब ठंडापन है. इस दौरान बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ भी रिश्ते मजबूत करने शुरू किए हैं, जो कि भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकती है. हाल ही में भारत ने बांग्लादेश को दी जाने वाली ट्रांसशिपमेंट सुविधा खत्म कर दी थी.

चीन ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए बांग्लादेशी नेताओं के लिए कई टूर स्पॉन्सर किए हैं, और बांग्लादेशी मरीजों को चीन के अस्पतालों में इलाज की सुविधा दी जा रही है.

व्यापारिक रिश्तों में चीन की बढ़त

चीन पहले ही बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन चुका है. 2023 में बांग्लादेश ने चीन से लगभग 22.95 अरब डॉलर का आयात किया, जबकि निर्यात मात्र एक अरब डॉलर के आसपास रहा, जिससे भारी व्यापार घाटा हुआ. हालांकि, चीन ने बांग्लादेश को 97 फीसदी उत्पादों पर शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान की है, जिससे ढाका को अपने निर्यात बढ़ाने का अवसर मिला है.

इस नई ‘मैंगो डील' को विशेषज्ञ केवल एक व्यापारिक समझौता नहीं, बल्कि ‘सॉफ्ट डिप्लोमेसी' का उदाहरण मान रहे हैं. खास बात यह भी है कि चीन में आम को एक ऐतिहासिक कूटनीतिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है. 1968 में माओ त्से तुंग की श्रमिकों को आम भेंट करने की तस्वीरों ने उस समय एक ‘मैंगो कल्ट' को जन्म दिया था, और मजेदार संयोग यह है कि वह आम कथित तौर पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भेजे थे. उस समय बांग्लादेश स्वतंत्र भी नहीं हुआ था.

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह व्यापारिक पहल सफल रही, तो बांग्लादेश से दूसरे कृषि उत्पादों का भी चीन को निर्यात शुरू हो सकता है, जिससे ना केवल व्यापार संतुलन सुधरेगा बल्कि ढाका की विदेश नीति में भी स्थायित्व आएगा.

बांग्लादेश और चीन के बीच यह आम सौदा केवल फल का लेन देन नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया में बदलते कूटनीतिक समीकरणों की गवाही है. भारत और चीन के बीच दक्षिण एशिया में प्रभाव की होड़ में, बांग्लादेश का यह झुकाव आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय भू-राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है.