Ganesh Chaturthi 2021: घर बैठे ऐसे करें मुंबई के 'लाल बाग के राजा' के LIVE दर्शन और जानिए क्या है गणेश उत्सव का इतिहास और महत्व
गणेश चतुर्थी 2021 (Photo Credits: File Image)

Ganesh Chaturthi 2021 Maharashtra Mumbai's Lalbaugcha Raja: महाराष्ट्र में हर साल बप्पा के जन्म का उत्सव यानी गणेश उत्सव (Ganesh utsav) धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र(Maharashtra) में तो इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है. लोग घरों में तो गणेश जी (Ganpati Bappa) को लाते ही हैं, साथ ही बड़े-बड़े पांडालों में भी बप्पा की विशाल मूर्तियों की शोभा होती है. इसे देखने और दर्शन के लिए लोग दूर दूर से यहां पर आते हैं. गणेश उत्सव ( ganesh utsav) महाराष्ट्र( Maharashtra) का खास पर्व (festival) माना जाता है. यह एक खास स्थान है जहां पर गणेश उत्सव की धूम अलग ही दिखती है.

महाराष्ट्र का गणेश उत्सव का इतिहास

गणेश चतुर्थी 1630-1680 के दौरान छत्रपति शिवाजी (मराठा साम्राज्य के संस्थापक) के समय में एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था. शिवाजी के समय, यह गणेशोत्सव उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में नियमित रूप से मनाना शुरू किया गया था. पेशवाओं के अंत के बाद, यह एक पारिवारिक उत्सव बना रहा, यह 1893 में बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक (एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक) द्वारा पुनर्जीवित किया गया.

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कौन हैं लालबाग के राजा?

मुंबई स्थित लालबागचा राजा महाराष्ट्र में सबसे लोकप्रिय है, जहां हर साल गणेशोत्सव के दौरान बप्पा के दर्शन के लिए सैलाब उमड़ता है. मुंबई के लालबाग बाजार में लालबाग पुलिस स्टेशन के पास स्थित ये गणेश मंडल काफी लोकप्रिय है. साल 1934 से लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल द्वारा प्रबंधित पौराणिक प्रतिमा के दर्शन के लिए लाखों भक्त आते हैं. आप इस आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अन्य जानकारी ले सकते हैं. साथ ही उत्सव वाले दिन ऑनलाइन दर्शन भी कर सकते हैं. https://www.lalbaugcharaja.com/MR/

कोरोना के चलते गणेश महोत्सव के लिए गाइडलाइन

• सार्वजनिक स्थलों पर मूर्तियों की ऊंचाई 4 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए.

• किसी भी मनोरंजन कार्यक्रम को आयोजित करने के बजाय रक्तदान शिविर का आयोजन करें.

• सभी गणपति मंदिरों में से ऑनलाइन दर्शन कराए जाने चाहिए.

• पंडालों में 5 वालेंटियर से अधिक नहीं होने चाहिए.

• पंडालों में भीड़ इकट्ठी न हो इस बात की जिम्मेदारी वालेंटियर की होगी.

• पूरे गणपति उत्सव के दौरान कोई भी जलसा या जुलूस नहीं निकाला जाएगा.

• मूर्तियों का विसर्जन स्थानीय प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए कृत्रिम तालाबों में ही करना चाहिए.