भारत में वायु प्रदूषण की समस्या अपने पैर जमा चुकी है. वायु प्रदूषण बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी बढ़ गया है. राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण हर साल सर्दियों में गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है. प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक होता है कि आम लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ का सामना करना पड़ता है. यह समस्या अब सिर्फ दिल्ली-एनसीआर पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों की नहीं रह गई है. अधिकांश अन्य बड़े शहरों में प्रदूषण बढ़ रहा है. दिल्ली कई उपायों के जरिए प्रदूषण को कम करने में सफल रहा है. 2022-23 की सर्दियों के दौरान, कोलकाता और मुंबई राष्ट्रीय राजधानी के बाद सबसे अधिक प्रदूषित थे. बढ़ते प्रदूषण से गर्भवती महिलाओं, जन्म लेने वाले बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है: विशेषज्ञ.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट से सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के बाद पहली बार सर्दियों में दिल्ली-NCR में प्रदूषण घट गया. इसके विपरीत दूसरे मेट्रो शहरों में PM 2.5 का बढ़ा हुआ स्तर सामने आया. रिपोर्ट के मुताबिक सर्दियों में कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरू और चेन्नई सहित अन्य मेट्रो शहरों में के प्रदूषण पर ध्यान नहीं जाता है.
1 अक्टूबर 2022 से 28 फरवरी 2023 तक दिल्ली, कोलकाता-हावड़ा, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई में सर्दियों के वायु गुणवत्ता विश्लेषण में पता चला कि दिल्ली के बाद कोलकाता और मुंबई सबसे अधिक प्रदूषित हैं. बेंगलुरू और चेन्नई में हवा की गुणवत्ता सबसे तेजी से खराब हुई है.
आंकड़ों से पता चलता है कि अगर दिल्ली को छोड़ दिया जाए, तो 2022-23 की सर्दियों में कोलकाता में "बहुत खराब" AQI दिनों की संख्या सबसे अधिक थी जबकि मुंबई में 'अच्छे' AQI दिनों की संख्या सबसे कम थी. बेंगलुरु और हैदराबाद में पीक विंटर पॉल्यूशन पिछले चार सालों में सबसे खराब था.