जरुरी जानकारी | कोविड-19 के बाद के दौर में फोन निर्यात का केंद्र बनने के भारत के समक्ष अप्रत्याशित अवसर: अध्ययन

नयी दिल्ली, 11 जून भारत के पास कोरोना वायरस महामारी के बाद के दौर में मोबाइल फोन के विनिर्माण और वैश्विक निर्यात का केंद्र बनने के अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध हैं। एक अध्ययन के अनुसार, कई बड़ी वैश्विक कंपनियों विनिर्माण को चीन से हटाकर कहीं और ले जाने के बारे में विचार करने से भारत के समक्ष विकल्प बनने के अवसर हैं।

आईसीईए और ईवाई ने भारत को 2025 तक 100 अरब डॉलर के मोबाइल फोन और 40 अरब डॉलर के उपकरण निर्यात का लक्ष्य पाने की रणनीति बनाने के बारे में मदद करने के लिये सरकार को ‘रिस्टार्ट, रिस्टोर एंड रिसर्जेंस’ नामक संयुक्त अध्ययन सौंपा।

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दस्तावेज में कहा गया है कि भारत में मोबाइल विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये सभी आवश्यक कारक मौजूद हैं। हालांकि प्रमुख कंपनियों को आकर्षित करने, उत्पादन को प्रोत्साहित करने और वियतनाम व चीन साथ ही भारतीय कंपनियों को लागत प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान करने के उपायों के लिये नीतिगत समर्थन का अभाव है।

इसमें गया है कि भारत बिजली की ऊंची दरों, कर और व्यापार करने में सुगमता जैसी विभिन्न विषमताओं से ग्रसित है। यह भारत को वियतनाम और चीन की तुलना में क्रमश: लगभग 10 प्रतिशत और 20 प्रतिशत कम प्रतिस्पर्धी बनाता है। भारत को दीर्घावधि में इन विषमताओं को दूर करने के उपाय निश्चित तौर पर करने चाहिये।

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इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज मोहिन्द्रू ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) की योजना, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों एवं सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना और मॉडिफाइड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स (ईएमसी 2.0) के माध्यम से सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने कहा, "कोविड-19 के बाद का युग भारत को शुद्ध निर्यातक बनने की राह पर चलने के लिये विनिर्माण के वैकल्पिक गंतव्य के रूप में खुद को स्थापित करने का एक अभूतपूर्व अवसर पेश कर सकता है। इसके लिये भारत को ‘उद्देश्यपूर्ण’ तरीके से आगे बढ़ना होगा और कंपनियों से संपर्क करना होगा।’’

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