
सूरत, 30 मार्च गुजरात के सूरत में हीरा कारोबार के क्षेत्र में मंदी के बीच श्रमिकों के वेतन में 50 प्रतिशत की कटौती किए जाने से नाराज सैकड़ों श्रमिकों ने रविवार को रैली निकाली और राहत पैकेज तथा वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।
हीरा काटने और पॉलिश करने वालों ने कतारगाम से कापोदरा हीरा बाग इलाके तक पांच किलोमीटर का शांतिपूर्ण मार्च निकाला।
प्रदर्शनकारियों ने कल्याण बोर्ड के गठन, वेतन में वृद्धि और वित्तीय संकट के कारण आत्महत्या करने वाले श्रमिकों के परिवारों को सहायता प्रदान करने की मांग की है और मांगें पूरी होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया।
सूरत हीरा कारोबार के क्षेत्र के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जहां दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत कच्चे हीरे काटे और तराशे जाते हैं। यह काम 2,500 से अधिक इकाइयों में कार्यरत लगभग 10 लाख श्रमिकों द्वारा किया जाता है।
‘डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात’ (डीडब्ल्यूयूजी) के उपाध्यक्ष भावेश टांक ने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों में हीरा कारोबार में भारी मंदी के कारण श्रमिकों के लिए उचित काम और वेतन की कमी के चलते अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। पिछले साल आर्थिक तंगी के कारण उनमें से कई ने आत्महत्या कर ली।’’
दो सप्ताह पहले एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को एक प्रस्ताव सौंपा, जिसमें श्रमिकों के लिए महंगाई के अनुसार वेतन वृद्धि, हीरे की कीमतों में वृद्धि, कल्याण बोर्ड का गठन, श्रमिकों पर लगाए गए प्रोफेशनल टैक्स को खत्म करने, आत्महत्या करने वाले के कारीगारों के परिवारों को वित्तीय सहायता और काम के घंटे तय करने का आग्रह किया गया था।
टांक ने दावा किया कि हीरा उद्योग ने श्रमिकों को श्रम कानूनों के तहत मिलने वाले लाभों जैसे कि भविष्य निधि, बोनस, सैलरी स्लिप, ओवरटाइम वेतन, महंगाई के अनुसार वेतन वृद्धि और ग्रेच्युटी से वंचित कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि सरकार कुछ कदम उठाएगी। जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक करीब दो लाख श्रमिक आज से काम पर नहीं जाएंगे।’’
सूरत डायमंड एसोसिएशन (एसडीए) के अध्यक्ष जगदीश खुंट ने कहा कि सूरत में कई हीरा काटने और तराशने वाली इकाइयां पिछले दो वर्षों से मंदी का सामना कर रही हैं, और उन्हें आर्थिक पैकेज के रूप में सरकार से समर्थन की भी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मंदी के कारण कई ब्रोकर और व्यापारी भी परेशान हैं।’’
खुंट ने कहा कि मंदी के कारण हीरा काटने और तराशने वालों के वेतन में दो साल से अधिक समय से वृद्धि नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके वेतन में कटौती नहीं की गई है, लेकिन उन्हें दो साल से अधिक समय से वेतन वृद्धि नहीं मिली है। लेकिन तथ्य यह है कि निर्माता भी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और मंदी के कारण वेतन बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं।’’
पिछले साल जुलाई में, डीडब्ल्यूयूजी ने हीरा श्रमिकों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया था।
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