नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर सब्जियों एवं ईंधन की कीमतें कम होने से सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर घटकर तीन महीनों के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत पर आ गई।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 5.02 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 7.41 प्रतिशत थी।
अगस्त, 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति 6.83 प्रतिशत रही थी।
इस तरह खुदरा मुद्रास्फीति जून, 2023 के बाद सितंबर में सबसे कम रही है। जून में यह 4.87 प्रतिशत रही थी।
खुदरा मुद्रास्फीति दो महीने के अंतराल के बाद फिर से रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में आ गई है। रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का दायित्व मिला हुआ है।
आरबीआई ने पिछले हफ्ते कहा था कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रह सकती है। वह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है।
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में खाद्य उत्पादों की कीमतें घटने से खाद्य मुद्रास्फीति 6.56 प्रतिशत पर आ गई जबकि अगस्त में यह 9.94 प्रतिशत थी।
सब्जियों के मामले में महंगाई दर सितंबर में घटकर 3.39 प्रतिशत पर आ गई जो अगस्त में 26.14 प्रतिशत थी।
आलोच्य अवधि में तेल एवं वसा खंड की कीमतों में 14.04 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि ईंधन एवं रोशनी खंड में 0.11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
आंकड़ों के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों के मुकाबले सितंबर में ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति अधिक रही। ग्रामीण क्षेत्र में मुद्रास्फीति 5.33 प्रतिशत रही जबकि शहरी क्षेत्र में यह 4.65 प्रतिशत रही।
ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य उत्पादों की कीमतें 6.65 प्रतिशत बढ़ीं जबकि शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 6.35 प्रतिशत रहा।
राज्यों के बीच सबसे ज्यादा महंगाई राजस्थान में 6.53 प्रतिशत रही जबकि छत्तीसगढ़ में यह सबसे कम 1.98 प्रतिशत रही। दिल्ली में भी 5.02 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से कहीं कम 2.24 प्रतिशत पर रही।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में व्यापक गिरावट रही लेकिन खानपान की वस्तुओं और ईंधन खंड ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
नायर ने कहा, "खाद्य मुद्रास्फीति अब भी ऊंचे स्तर पर है। मानसून के असमान वितरण, दालों एवं तिलहन फसलों की बुवाई में देरी और जलाशयों में औसत जल-स्तर से खाद्य मुद्रास्फीति के लिए परिदृश्य अच्छा नहीं दिख रहा है।"
वहीं, पीडब्ल्यूसी इंडिया में आर्थिक सलाहकार सेवाओं के साझेदार रनेन बनर्जी ने कहा कि ईंधन एवं खाद्य उत्पादों को छोड़कर प्रमुख (कोर) मुद्रास्फीति का पांच प्रतिशत से नीचे जाना एक अच्छी खबर है। उन्होंने इस स्थिति में नीतिगत ब्याज दर के कुछ समय तक अपरिवर्तित रहने की संभावना भी जताई।
प्रेम
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