श्रम सचिव ने ईएसआईसी के कोष का उपयोग वेतन देने में करने के सुझाव को खारिज किया
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नयी दिल्ली, 22 अप्रैल श्रम सचिव हीरालाल सामरिया ने कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) के दौरान कर्मचारियों के वेतन या वेतन भुगतान के लिये नियोक्ताओं को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के कोष से मदद दिए जाने के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया।

कुछ लोगों का तर्क है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के साथ-साथ ईएसआईसी के कोष का उपयोग कर्मचारियों को राहत देने में करने देशव्यापी बंद के दौरान कर्मचारियों का जीवन यापन आसान बनाने में मदद मिलेगी।

इस महीने की शुरूआत में श्रम मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना या अन्य किसी योजना के तहत कर्मचारियों को राहत उपलब्ध कराने के लिये ईएसआईसी या ईपीएफओ के कोष का उपयोग करने से इनकार कर दिया था।

उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित वेबिनार (इंटरनेट के माध्यम से होने वाला सेमिनार) के दौरान सामरिया ने कहा, ‘‘ईएसआईसी कोष उन बीमित व्यक्तियों और नियोक्ताओं का पैसा है जो सामाजिक सुरक्षा योजना में योगदान कर रहे हैं। यह प्रावधान पहले से है कि अगर कोई कर्मचारी बेरोजगार होता है तब 25 प्रतिशत वेतन का भुगतान किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘...लेकिन ईएसआईसी के पैसे का कहीं और उपयोग या वेतन भुगतान में करना सही नहीं होगा क्योंकि हम आगे और योगदान कम करना चाहते हैं ताकि ईएसआई योजना भविष्य में और बेहतर चल सके।’’

सचिव ने उद्योग प्रतिनिधियों से यह भी कहा कि पिछले साल जुलाई में बीमा योजना ईएसआई के लिये योगदान वेतन का 6.5 प्रतिशत से कम कर 4 प्रतिशत कर दिया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘अब हम योगदान में और कमी लाने पर विचार कर रहे हैं। हम ये कदम तभी उठा पाएंगे जब हमारे पास पैसा होगा।’’

फिलहाल नियोक्ता कर्मचारियों के कुल वेतन का 3.25 प्रतिशत और कर्मचारी 0.75 प्रतिशत का भुगतान ईएसआई के लिये करता है।

श्रम सुधारों के बारे में उन्होंने कहा कि श्रम पर संसद की स्थायी समिति ने औद्योगिक संबंधों पर संहिता के बारे में अपनी रिपोर्ट दे दी है और वह जल्दी ही सामाजिक सुरक्षा संहिता पर रिपोट देगी।

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