रांची (झारखंड), 17 दिसंबर झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा सितंबर में आयोजित की गई भर्ती परीक्षा के अंतिम परिणामों पर मंगलवार को रोक लगा दी।
अदालत ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि पुलिस प्रश्नपत्र लीक के संबंध में अभ्यर्थियों की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करे और मामले की जांच करे।
मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने प्रकाश कुमार द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।
अदालत ने पुलिस को इस मामले में रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अगले साल 22 जनवरी को होगी।
झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (जेजीजीएलसीसीई) 21 और 22 सितंबर को आयोजित की गई थी, जिसमें 3.04 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
जेजीजीएलसीसी परीक्षा के माध्यम से सरकारी कनिष्ठ स्तर के पदों पर भर्ती की जानी थी, लेकिन कुछ अभ्यर्थियों ने परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया था ।
राजेश प्रसाद नामक व्यक्ति ने इस मामले में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराकर पुलिस से जांच और कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद प्रकाश कुमार ने उच्च न्यायालय का रुख किया और जनहित याचिका के माध्यम से मामले की केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या न्यायिक जांच की मांग की।
अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है, लेकिन टीम की कार्रवाई पारदर्शी नहीं लगती। याचिकाकर्ता ने कहा कि एसआईटी द्वारा की गई कोई भी जांच भी सामने नहीं आई, इसलिए सीबीआई से इसकी निष्पक्ष तरीके से जांच कराने की मांग की जाती है।
अदालत ने परीक्षा के परिणाम पर ऐसे समय में रोक लगाई है, जब आयोग ने सोमवार को दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की थी।
जेएसएससी ने 16 से 22 दिसंबर के बीच दस्तावेज सत्यापन के लिए चयनित 2,231 अभ्यर्थियों को बुलाया था।
दस्तावेज सत्यापन के विरोध में कुछ अभ्यर्थी सोमवार को जेएसएससी कार्यालय के पास एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि जब मामला उच्च न्यायालय में लंबित है, तो आयोग को दस्तावेज सत्यापन नहीं करना चाहिए।
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