नयी दिल्ली, 12 अप्रैल खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में 15 महीने के निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर आ गई। मुख्य रूप से खाने का सामान सस्ता होने से महंगाई दर घटी है।
मार्च में मुद्रास्फीति का आंकड़ा आरबीआई के संतोषजनक स्तर की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत के भीतर है। आरबीआई को मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी 2023 में 6.44 प्रतिशत और एक साल पहले मार्च में 6.95 प्रतिशत थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति मार्च में 4.79 प्रतिशत रही। यह आंकड़ा फरवरी में 5.95 प्रतिशत और एक साल पहले इसी माह में 7.68 प्रतिशत था।
अनाज, दूध और फलों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2023 में 6.4 प्रतिशत हो गई थी।
मार्च में सालाना आधार पर सब्जियों की कीमत 8.51 प्रतिशत, तेल और वसा की कीमत 7.86 प्रतिशत तथा मांस और मछली की कीमत में 1.42 प्रतिशत की गिरावट हुई। हालांकि इस दौरान मसाले 18.2 प्रतिशत और अनाज 15.27 प्रतिशत महंगे हुए। इस दौरान फल भी महंगे हुए।
खाद्य उत्पादों की कुल मुद्रास्फीति मार्च में 4.79 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा फरवरी 2023 में 5.95 प्रतिशत और एक साल पहले इसी अवधि में 7.68 प्रतिशत था। कुल सीपीआई में खाद्य उत्पादों की हिस्सेदारी 54.18 फीसदी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2023-24 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जब तक गर्मी की आशंका से वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि नहीं होती है, मुद्रास्फीति 5-5.2 प्रतिशत के बीच रह सकती है। इससे ब्याज दर नहीं बढ़ाने के आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के फैसले को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि खरीफ की बुवाई प्रभावित होने की आशंका नहीं है, हालांकि, मानसूनी बारिश में किसी भी तरह की कमी उपज और खाद्य मुद्रास्फीति को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में तेजी की आशंका भी मुद्रास्फीति के लिए एक जोखिम है।
कमोडिटी पार्टिसिपेन्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीपीएआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन वाधवा ने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है और इससे पता चलता है कि महंगाई का दबाव कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति उपभोक्ताओं और व्यवसायों, दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद है।
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