नयी दिल्ली, 16 दिसंबर संविधान में नागरिकों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता की ओर ध्यान दिलाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने सोमवार को प्रश्न किया कि मणिपुर, बिलकिस बानो, उमर खालिद सहित विभिन्न पीड़ित लोगों को केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार क्या न्याय दे पायी है?
उच्च सदन में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए गोखले ने कहा कि देश में बेरोजगार युवकों और महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों को कितना आर्थिक न्याय मिल पाया है, यह विचार करने की बात है।
तृणमूल सदस्य ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पिछले दस वर्ष में संविधान को जितना नुकसान पहुंचाया है, उतना पिछले 70 वर्ष में अन्य सरकारें नहीं पहुंचा पायीं।
गोखले ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी को बताना चाहिए कि उनकी सरकार पश्चिम बंगाल के मनरेगा कामगारों, बिलकिस बानो, उमद खालिद, खालिद सैफी, जान गंवाने वाले 750 प्रदर्शनकारी किसानों, मणिपुर के लोगों सहित विभिन्न पीड़ितों के साथ कितना न्याय कर पा रही है। उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में आसनी से कल्पना की जा सकती है जबकि लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के बारे में ‘जहरीले बोल’ बोले गए थे।
उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा से कहा कि पश्चिम बंगाल के मतदाता 2026 के विधानसभा चुनाव में उसके अहंकार को दूर कर उसे पराजित करेंगे।
तृणमूल सदस्य ने दावा किया कि केंद्र की सरकार ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की विभिन्न लोकप्रिय योजनाओं और कार्यक्रमों की नकल की।
द्रमुक के तिरुचि शिवा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि जिन लोगों ने भी संविधान बनाने में योगदान दिया, वे सभी आज सम्मान के पात्र हैं और उनका आदर किया जाना चाहिए।
शिवा ने कहा कि देश के संविधान निर्माता चाहते थे कि किसी भी धार्मिक या ई अल्पसंख्यक के मन में कोई आशंका नहीं उठना चाहिए।
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