कार्बन फुटप्रिंट में कटौती पर सरकारें कैसे करें लोगों की मदद
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमीर देशों में लोग गैर प्रदूषित जिंदगी बिता सकते हैं, अगर सरकारें उन्हें बुरी आदतें छोड़ने में मदद करें. कुछ सरकारों ने साफ जीवनशैलियों को आसान बनाने के लिए कदम उठाए हैं.धरती को गरम होने से रोकने के कुछ शक्तिशाली औजारों में हमारे खाने-पीने, गरमी जुटाने, आवाजाही और खरीदारी के तौर-तरीके भी शामिल हैं. लेकिन प्रदूषणकारी उत्पादों की मांग में कटौती करने वाले जीवनशैली के बदलाव ला पाना इतना आसान नहीं. इलेक्ट्रिक कारें आम कारों से ज्यादा महंगी होती हैं. टोफू का स्वाद मीट जैसा नहीं होता और इन्फ्लुएंसर तो हैं ही, जो लोगों को और चीजें खरीदने को उकसाते रहते हैं.

वे लोग जो साफ जीवनशैलियां अमल में ला सकते हैं, वे भी अक्सर बदलावों के प्रति उदासीन देखे जाते हैं. मांस छोड़ने या उड़ानों से परहेज करने के आंदोलनों ने अमीर देशों के गिनते के लोगों को ही प्रभावित किया है, हालांकि दूसरों को कटौती करने के लिए बेशक प्रेरित किया है.

सरकारों से मिलने वाली मदद ही ज्यादा साफ जिंदगी को सस्ता और व्यावहारिक बना सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अतिशय मौसम को और बदतर होने से रोकने के लिए जीवनशैली के बदलावों को प्रेरित करने में इस मदद की बड़ी अहमियत है. मई में जर्मन सरकार के पर्यावरण सलाहकारों ने मंत्रियों के समक्ष एक फ्रेमवर्क पेश किया कि कैसे नागरिकों से बुरी आदतें छुड़ाई जा सकती हैं. इसमें उपायों के साथ-साथ प्रोत्साहनों को भी रेखांकित किया गया.

इस रिपोर्ट की सह-लेखक आनेते ट्युलर ने कहा, "हर कोई योगदान करे, तभी हम पारिस्थितिकीय संकट को रोक पाएंगे. चाहे उपभोग हो या निवेश या मौजमस्ती. समय आ गया है कि राजनीतिज्ञ लोगों से पर्यावरण अनुकूल व्यवहार को आसान बनाने, मदद करने या जरूरत पड़ने पर उस पर अमल करने की मांग भी करें."

खराब उत्पादों की मांग में कटौती

पिछले साल नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित जिंदगियां बिता रहे 10 फीसदी लोग हर साल आधी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के जिम्मेदार हैं. 37,200 यूरो (40,800 डॉलर) की तनख्वाह कमाने वाले लोग इस दायरे में आते हैं. इसमें अमीर देशों के मध्यवर्गीय लोगों से लेकर गरीब देशों के अमीर लोग शामिल हैं.

जीवनशैली के बदलाव उनके उत्सर्जनों में कटौती में अहम भूमिका निभाते हैं. जलवायु शोध की अपनी ताजा समीक्षा में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु पैनल (आईपीसीसी) ने पाया कि ऊर्जा की मांग में कटौती के उपाय 2050 तक, आम व्यापारिक गतिविधियों के मुकाबले, कुछ सेक्टरों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आधा कर सकते हैं. सबसे ज्यादा शक्तिशाली कार्रवाइयों में शामिल है विमानों और कारों से आवाजाहीन करना, पौधा आधारित (प्लांट बेस्ड) डाइट को अपनाना और घरों में ऊर्जा उपयोग को और कारगर बनाना.

रंगी हुई साइकिल लेन लोगों को साइकिल से काम पर जाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं, लेकिन साइकिल सवारों को कारों से बचाने के लिए सख्त बैरियर लगा दिए जाएं तो ऐसे मार्ग और लोकप्रिय हो सकते हैं.

कुछ मामलों में साफ जीवनशैली महज व्यक्तिगत चुनावों से हासिल की जा सकती है, जैसे घरों के नजदीक छुट्टियां बिताना या प्रोटीन के स्रोत के रूप में मीट की जगह फलियां खाना. लेकिन दूसरे विकल्पों को देखें, तो जलवायु अनुकूल विकल्प अक्सर महंगे पड़ते हैं, या उनके बारे में कोई चर्चा ही नहीं होती. उदाहरण के लिए, शहरों से बाहर रहने वाले कई लोगों के लिए कार चलाकर काम पर जाना मजबूरी बन जाता है क्योंकि वहां न बस जाती है ना रेल. चुनिंदा लोग ही इलेक्ट्रिक कार खरीद सकते हैं.

बहुत सारे ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के बीच भागीदारी से बने सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड सोशल ट्रांसफॉर्मेशन्स के उपनिदेशक स्टुआर्ट कैपस्टिक कहते हैं, "सरकारों के लिए यह अनिवार्य है कि कार्बन फुटप्रिट में कटौती के लिए वे लोगों की मदद करें, अन्यथा बहुत सारे लोगों के लिए अपने स्तर पर ऐसा कर पाना आसान नहीं होगा. निम्न कार्बन का विकल्प आसान, सामान्य और सस्ता होना चाहिए."

ज्यादा स्वच्छ जीवनशैलियों का समर्थन

कुछ सरकारों ने साफ जीवनशैलियों को आसान बनाने के लिए कदम उठाए हैं.

ऑस्ट्रिया में सरकार टूटे-फूटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत का आधा खर्च उठाती है और इस तरह लोगों को नए उपकरण खरीदने से हतोत्साहित करती है. जलवायु मंत्रालय ने अप्रैल में बताया कि योजना के पहले साल में पांच लाख से ज्यादा बिजली उपकरणों की मरम्मत की जा चुकी है, 2026 के अंत तक हासिल होने वाली अनुमानित संख्या से एक चौथाई ज्यादा.

बेल्जियम में ट्रेड यूनियनें और व्यापार समूह, साइकिल से काम पर जाने वाले लोगों को ज्यादा भुगतान करने पर सहमत हुए हैं. यह कार्यक्रम उन कई योजनाओं जैसा है, जिनमें कंपनियां अपने कर्मचारियों के कार भाड़े में सब्सिडी देती हैं. बेल्जियम सरकार की परिवहन सेवा के एक अध्ययन के मुताबिक, बड़ी कंपनियों में काम करने वाले साइकिल सवार कर्मचारियों का शेयर 2017 से 2021 के बीच एक चौथाई बढ़ कर 14.1 फीसदी हो गया था. हालांकि कारों का इस्तेमाल थोड़ा गिरा.

ज्यादा बड़ी, लेकिन कम प्रत्यक्ष पालियां भी मददगार हैं. ऊर्जा के थिंक टैंक रेगुलेटरी असिस्टेंस प्रोजेक्ट (आरएपी) के पिछले साल के एक विश्लेषण के मुताबिक, 2013 से नीदरलैंड्स ने फॉसिल गैस का टैक्स 84 फीसदी बढ़ा दिया और बिजली का 25 फीसदी कम किया. नतीजा यह है कि लगाने में महंगे, लेकिन घर को ज्यादा साफ तरीके से गरम करने वाले हीट पंप अपने जीवनकाल में गैस बॉयलरों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं.

हीटिंग के विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि यह समाधान का बस एक हिस्सा है और दूसरे उपायों के साथ अमल में लाया जाना चाहिए. जैसे कि हीट पंपों को लेकर जागरूकता जगाना और उन्हें इंस्टाल करने वाले कर्मियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना.

आरएपी (रैप) में क्लीट हीट एनालिस्ट और रिपोर्ट के सह-लेखक डंकन गिब कहते हैं, "कोई एक अचूक इलाज तो है नहीं, लेकिन लोगों को ज्यादा साफ ढंग से घरों को गरम रखने में मदद के लिए ऐसी नीतियां चाहिए जिनकी लागत कम हो. आकर्षक सब्सिडी दी जाए और ऑपरेटिंग कॉस्ट को तुलनात्मक रूप से सस्ता रखा जाए. कर निर्धारण और कार्बन मूल्य निर्धारण, ये सब वाकई जरूरी है."

व्यक्तिगत बदलाव

कई अमीर देशों में साफ विकल्पों के चयन की लोगों की कोशिशों का राजनीतिज्ञों और आम जनता ने विरोध किया है. प्रमुख दलील यह होती है कि सरकारों को नहीं बताना चाहिए कि लोग क्या करें या उनकी आजादी को बाधित नहीं करना चाहिए.

कैपस्टिक कहते हैं कि इसी में एक विरोधाभास भी जुड़ा है जहां सरकारें जोर देती हैं कि वे लोगों की आजादी में दखल नहीं दे सकतीं, जबकि जनता कहती है कि सरकार को पहले कार्रवाई करनी चाहिए. "नतीजतन हमारे आगे गतिरोध बना रहता है."

जलवायु विशेषज्ञों ने व्यक्तिगत चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने की आलोचना भी की है, जबकि बड़ी कंपनियां ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं. उन्होंने बीपी जैसी बड़ी ऊर्जा कंपनियों की उस भूमिका को रेखांकित किया है, जिसके तहत उन्होंने निजी कार्बन फुटप्रिंट के विचार को प्रमोट किया है और खुद ज्यादा तेल निकालने में जुटी रहती हैं और फॉसिल ईंधन उत्पादन में कटौती की लक्षित नीतियों के खिलाफ लॉबीइंग करती हैं.

वैज्ञानिक व्यक्तियों को फ्री पास देने को सही नहीं मानते, खासकर अमीर देशों में जहां मुट्ठीभर उपभोग विकल्प एक व्यक्ति के कार्बन फुटप्रिंट में सालाना कई टन की कमी ला सकते हैं. वैज्ञानिक इस पर भी जोर देते हैं कि लाभों का दायरा व्यक्तिगत बचतों से बड़ा है. लो-कार्बन उत्पाद खरीदने और प्रदूषणकारी आदतों को खत्म करने से कंपनियों और सरकारों को एक संकेत जाता है कि वे उस ऑडियंस से अपील करें, जैसे कि वेजी बर्गर को ज्यादा स्वादिष्ट बनाएं या साइकिल सवारों के लिए ज्यादा-से-ज्यादा लेन बनाएं. 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक; अमीर लोग न सिर्फ उपभोक्ताओं के तौर पर बल्कि रोल मॉडल, वोटर, निवेशक और पेशेवर के तौर पर भी बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं.

स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी में जलवायु वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक किम निकोलस कहते हैं, "जलवायु कार्रवाई के संदर्भ में हमें 'हां, और' वाला मांडडसेट रखना होगा. "हां, बेशक सरकारों और बड़ी कंपनियों की जिम्मेदारी मुझसे ज्यादा होगी, जिसके लिए नागरिक उन्हें जवाबदेह ठहरा सकते हैं. और मेरी भी जिम्मेदारी है, जहां और जैसे संभव होगा मैं भी अपना काम कर करूंगा."