Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर बन रहा है पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग! जानें इसका वैज्ञानिक महत्व भी!
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Makar Sankranti 2025: इस वर्ष 14 जनवरी 2025 को सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इसी अवसर पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक ग्रंथों में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व तो है ही, लेकिन इस बार मकर संक्रांति का विशेष महत्व बन रहा है, क्योंकि इस वर्ष 120 साल बाद प्रयागराज में बहुप्रतीक्षित विश्व का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ प्रारंभ हो रहा है.

इस महापर्व पर 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु गंगा, यमुना एवं सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकियां लगाकर स्वयं को कृतार्थ समझेंगे. मकर संक्रांति पर सूर्य उपासना एवं दान-धर्म का भी विशेष महत्व है. आइये जानते हैं मकर संक्रांति पर स्नान के लिए सबसे पवित्र मुहूर्त क्या है, साथ ही बात करेंगे मकर संक्रांति के वैज्ञानिक पहलुओं पर भी...ये भी पढ़े:Makar Sankranti 2024 Wishes: मकर संक्रांति की इन शानदार हिंदी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings के जरिए प्रियजनों को दें शुभकामनाएं

मकर संक्रांति का महत्व एवं शुभ मुहूर्त     

मकर संक्रांति सेलिब्रेशन के साथ ही मलमास (खरमास) के कारण प्रतिबंधित हुए शुभ विवाह, जनेऊ एवं मुंडन जैसे संस्कार एवं गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य पुनः शुरू हो जाएंगे. इस दिन गंगा-स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इसी दिन अक्षुण्ण पुण्य प्रदान करने वाले महाकुंभ का पहला शाही स्नान सम्पन्न होगा. इस दिन देश के विभिन्न स्थानों पर खिचड़ी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा अनुष्ठान का विधान है. इस दिन देश के कई हिस्सों में बहुत सी जगहों पर खिचड़ी का पर्व भी मनाया जायेगा. जिसमें खिचड़ी और तिल-गुड़ दान करने और सेवन करने की पुरानी परंपरा है. मान्यता है कि मकर संक्रांति गंगा-स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप मिट जाते हैं, तथा आरोग्यता का वरदान भी प्राप्त होता है.

मकर संक्रांति का महा पुण्य काल

14 जनवरी 2025 को सूर्य 08.54 AM पर पुष्य नक्षत्र में मकर राशि में प्रवेश करेंगे.

मकर संक्रांति का पुण्यकाल 09.03 AM से 05.47 PM तक श्रेष्ठ समय रहेगा. इसमें 09.03 AM से 10.50 AM तक महापुण्य काल बना है. इसके साथ ही मकर संक्रांति पर दुर्लभ पुष्य नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है, इस योग में गंगा-स्नान से पूजा, तप-जप एवं दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति के समय गंगा समेत तमाम नदियों में वाष्पन क्रिया होती है. इस वाष्पीकरण से तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं. इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इस मौसम में तिल-गुड़ का सेवन सेहत के लिए लाभकारी होता है. शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त होती है. यह ऊर्जा सर्दी में शरीर की रक्षा रहती है.