TCS Hiring: टीसीएस 2026 तक 40 हजार ट्रेनी और ग्रेजुएट्स की करेगी भर्ती, अमेरिकी H-1B वीजा पर निर्भरता घटाने की योजना
Tata Consultancy Services | Wikimedia Commons

देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने हाल ही में अपने आगामी भर्तियों की योजनाओं और H-1B वीजा पर निर्भरता को कम करने की रणनीति का खुलासा किया है. कंपनी ने 2026 में 40,000 से अधिक नए प्रशिक्षुओं (ट्रेनी) को भर्ती करने का लक्ष्य रखा है. TCS के चीफ एचआर ऑफिसर, मिलिंद लक्कड़ ने CNBC-TV18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "हम इस साल 40,000 प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने की प्रक्रिया में हैं और अगले साल इससे भी ज्यादा लोगों को शामिल करने की योजना है."

टीसीएस ने अमेरिकी H-1B वीज़ा पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं. कंपनी ने अब एक "ग्लोबल ऑपरेटिंग मॉडल" अपनाया है, जहां विभिन्न देशों में स्थानीय लोगों को काम पर रखा जा रहा है.

टीसीएस के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर, के. कृतिवासन ने बताया कि कंपनी के अमेरिकी कार्यबल का 50 फीसदी से अधिक हिस्सा अब स्थानीय कर्मचारियों का है. इससे न केवल अमेरिकी वीज़ा पर निर्भरता कम हुई है, बल्कि कंपनी के ग्लोबल वर्कफोर्स मॉडल को भी मजबूती मिली है.

टीसीएस के भर्तियों के आंकड़े

अक्टूबर से दिसंबर 2024 की तिमाही में टीसीएस ने 5,370 कर्मचारियों की कुल कमी दर्ज की, जिससे इसकी कुल वर्कफोर्स 612,724 से घटकर 607,354 हो गई. इस वित्तीय वर्ष के पहले आधे हिस्से में कंपनी ने 11,178 नए कर्मचारियों की भर्ती की थी.

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मूल की टेक कंपनियों ने अमेरिकी H-1B वीज़ा का 20% हिस्सा हासिल किया है.

  • Infosys: 8,140 वीजा
  • TCS: 5,274 वीजा
  • HCL America: 2,953 वीजा

Amazon ने सबसे ज्यादा 9,265 वीजा प्राप्त किए. वहीं, Cognizant (6,321 वीजा) ने भी इस सूची में प्रमुख स्थान हासिल किया.

टीसीएस का यह कदम इस बात का संकेत है कि कंपनी अब नई प्रतिभाओं को तैयार करने और स्थानीय बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

TCS की नई भर्ती और H-1B वीजा पर निर्भरता कम करने की रणनीति न केवल कंपनी की विकासशील मानसिकता को दर्शाती है, बल्कि यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए एक नई दिशा भी प्रदान करती है.