नयी दिल्ली, 17 दिसंबर संसद की एक समिति ने मंगलवार को बजट में आवंटित फंड के कम उपयोग के लिए मत्स्य पालन मंत्रालय की आलोचना की और उससे इस मसले पर ध्यान देने को कहा।
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी तीसरी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त मंत्रालय द्वारा नई वित्तीय प्रणाली लागू करने के तीन साल से अधिक समय बाद भी फंड का कम उपयोग होने का रिवाज बदस्तूर जारी है।
समिति ने सिफारिश की कि मत्स्य पालन विभाग सकारात्मक परिणाम के लिए इस मुद्दे को सुलझाने का ‘गंभीर प्रयास’ करे और राज्य सरकारों और राज्य मत्स्य पालन विभागों के साथ ‘सक्रिय संपर्क’ में रहे।
समिति ने कहा कि सामान्य रूप से मछुआरों और विशेष रूप से पारंपरिक मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए विभाग की योजनाओं का लक्षित और प्रभावी कार्यान्वयन अनिवार्य हो जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसलिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए बजट आवंटन का पूरा उपयोग किया जाए।’’
समिति ने पाया कि विभाग के केंद्र प्रायोजित योजना घटक के तहत वास्तविक व्यय में वित्त वर्ष 2021-22 से संशोधित अनुमानों की तुलना में गिरावट देखी गई।
समिति ने चिंता व्यक्त की कि संशोधित अनुमान (आरई) चरण में भी आवंटित राशि का बार-बार कम उपयोग होना, उचित योजना की कमी, फंड की आवश्यकता के आकलन और आरई चरण में भी फंड की आवश्यकताओं के लिए प्रस्ताव बनाते समय जमीनी हकीकत को ध्यान में रखने में विफलता को दर्शाता है।
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