नयी दिल्ली, 17 दिसंबर दिल्ली की एक अदालत ने अमेरिकी नागरिक से क्रिप्टो करेंसी वॉलेट के जरिए उसके खाते से धन अंतरित करने का लालच देकर 3.39 करोड़ रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के आरोपी एक व्यक्ति को मंगलवार को जमानत दे दी।
विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने लक्ष्य विज नामक व्यक्ति को जमानत प्रदान करते हुए कहा, ‘‘आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई सामग्री या सबूत नहीं है। जब आरोपों के समर्थन में कोई सामग्री नहीं होती तो उन्हें अपने आप में सत्य नहीं माना जा सकता।’’
न्यायाधीश को इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला कि सह-आरोपी व्यक्तियों को कभी गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया और याचिकाकर्ता, जिसका नाम प्राथमिकी में भी नहीं था, को हिरासत में क्यों रखा गया। याचिकाकर्ता के बारे में कहा गया कि वह 31 मई को, और बाद में 3, 4 और 18 जून, 2024 को जांच में शामिल हुआ था, लेकिन उसे 24 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सीबीआई के जवाब में बताए गए तथ्यों को यदि प्रथम दृष्टया देखा जाए, तो भी आरोप है कि आरोपी अन्य आरोपियों के साथ व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य था और उसने विभिन्न बैंक खातों में क्रिप्टो करेंसी स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे। प्रथम दृष्टया ऐसे आरोप बहुत गंभीर हैं। जब अभियोजन पक्ष से इन आरोपों के समर्थन में साक्ष्य दिखाने के लिए कहा गया, तो कोई साक्ष्य नहीं दिखाया जा सका।’’
आदेश में कहा गया कि केवल एक विशेष आरोपी को गिरफ्तार करने और प्राथमिकी में नामित आरोपियों को गिरफ्तार न करने की जांच में विसंगति पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानत राशि पर राहत दी जाती है।’’
सीबीआई ने कहा कि आरोपियों ने अमेरिकी नागरिक को गलत जानकारी देकर और क्रिप्टो करेंसी वॉलेट के जरिए उसके खाते से धन अंतरित करने के लिए प्रेरित करके 3.39 करोड़ रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी की।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता सह-आरोपियों को क्रिप्टो करेंसी के अंतरण के बारे में निर्देश दे रहा था, हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि आरोप किसी भी सामग्री या सबूत से साबित नहीं हुआ है।
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