नयी दिल्ली, 17 दिसम्बर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा में एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक मंगलवार को पेश किये जाने के संबंध में हुए मत विभाजन के दौरान अपने करीब 20 सांसदों की अनुपस्थिति की जांच कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि भाजपा ने एक व्हिप जारी करके अपने सभी सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने को कहा था, लेकिन इतने सारे सांसदों की अनुपस्थिति से पार्टी नेतृत्व नाराज है। हालांकि, सूत्रों ने यह भी कहा कि कई सांसदों ने व्यक्तिगत और काम से संबंधित कारणों से अपनी अनुपस्थिति के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हम उनकी अनुपस्थिति के पीछे के कारणों की निश्चित रूप से जांच कर रहे हैं। कुछ के पास वास्तविक कारण थे।’’
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री सी आर पाटिल सहित कुछ सांसद राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सार्वजनिक कार्यक्रम में व्यस्त थे।
उन्होंने बताया कि मतदान के दौरान भाजपा के सहयोगी दलों के चार से पांच सांसद भी मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस पर भी गौर किया जा रहा है।
सरकार ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले विधेयक को विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच मंगलवार को निचले सदन में पेश किया और कहा कि इस पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को निचले सदन में पुर:स्थापित करने के लिए रखा, जिनका विपक्षी दलों ने पुरजोर विरोध किया।
सदन में मत विभाजन के बाद ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ को पुर:स्थापित कर दिया गया। विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 269 वोट, जबकि विरोध में 198 वोट पड़े।
इसके बाद मेघवाल ने ध्वनिमत से मिली सदन की सहमति के बाद ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को भी पेश किया।
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