Sri lanka Crisis: गोटाबाया राजपक्षे आज दे सकते हैं इस्तीफा, कोलंबो में प्रदर्शन हुआ उग्र, सैन्य कार्रवाई से और बिगड़ सकते हैं हालात
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Sri lanka Crisis: श्रीलंका में आर्थिक और राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है. इस बीच श्रीलंका से भागकर मालदीव पहुंचे गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) अब सिंगापुर जाने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ ये तय नहीं हो पा रहा है कि गोटाबाया कब इस्तीफा देंगे. हालांकि खबरों की मानें तो गोटाबाया राजपक्षे आज इस्तीफा दे सकते हैं. देश में दवाओं की कमी, इसलिए बीमार न पड़ें: श्रीलंका के डॉक्टरों की लोगों को सलाह. 

बता दें कि गोटाबाया राजपक्षे इस्तीफा देने से पहले ही श्रीलंका से भागकर मालदीव पहुंच गए थे. अब वे सिंगापुर जाने की तैयारी कर रहे हैं. गोटाबाया पहले फ्लाइट से सिंगापुर जाने वाले थे, लेकिन मालदीव में भी उनके खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपना फैसला बदल दिया. गोटाबाया ने अब सिंगापुर की सरकार से प्राइवेट जेट की मांग की है.

वहीं एक तरफ गोटाबाया ने इस्तीफा नहीं दिया है, लेकिन रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने कार्यकारी राष्ट्रपति के तौर पर कुर्सी संभाल ली है. बुधवार को इस्तीफा देने का वादा करने वाले 73 वर्षीय राजपक्षे ने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया और इस तरह देश में राजनीतिक संकट गहरा गया तथा नये सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्द्धने ने कहा, नए राष्ट्रपति के लिए मतदान 20 जुलाई को होगा. उन्होंने नागरिकों से शांति बरतने की अपील की. वहीं बुधवार को विक्रमसिंघे ने टेलीविजन पर जारी विशेष बयान में देशभर में आपातकाल की घोषणा की और शहर में तथा आसपास के क्षेत्रों में कर्फ्यू भी लगा दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोकतंत्र पर मंडरा रहे इस फासीवादी खतरे को समाप्त करना चाहिए. हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद नहीं होने दे सकते. राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में उचित सुरक्षा बहाल होनी चाहिए.’’ विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा बलों को हालात सामान्य करने के लिए आपातकाल और कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया है. सशस्त्र बलों के प्रमुखों की एक समिति को यह काम करने की जिम्मेदारी दी गयी है जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होगा.

इस घटनाक्रम से विरोधी प्रदर्शनकारी और उग्र हो गये हैं जो देश में अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री दोनों का इस्तीफा चाहते हैं. हजारों प्रदर्शनकारियों नेआपातकाल को धता बताते हुए और लंका के झंडे लहराते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव किया

पुलिस ने अवरोधक तोड़कर प्रधानमंत्री कार्यालय में घुसने वाले प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े. श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों के कब्जे से प्रधानमंत्री दफ्तर छुड़ाने की सेना की कोशिश नाकाम हो गई है. अब भी भारी संख्या में प्रदरर्शनकारी वहां डटे हैं.

श्रीलंका में स्थिति बेहद नाजुक

रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा, 'श्रीलंका में स्थिति बहुत नाजुक है तथा प्रदर्शनकारियों पर कोई भी सैन्य कार्रवाई समग्र माहौल को और खराब कर सकती है.' वर्ष 2009 से 2013 तक श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त के रूप में कार्य करने वाले अशोक के. कंठ ने कहा, "इस समय स्थिति बहुत अनिश्चित है, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक अराजकता से बचा जाए, लेकिन साथ ही सेना और पुलिस के किसी भी हस्तक्षेप से स्थिति और खराब हो सकती है."