संयुक्त राष्ट्र: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) ने कश्मीर मुद्दे पर भारत पर दबाव नहीं बनाने पर दुनिया को तीन धमकियां दे डालीं जिनमें परमाणु युद्ध का खतरा, दुनिया भर में मुसलमानों के कट्टरपंथी बनने का खतरा और क्षेत्र में खून-खराबा भरे विद्रोह का खतरा शामिल है. उन्होंने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए कहा कि कश्मीर में स्थिति की अभी शुरुआत है और 1962 के क्यूबा संकट के बाद से यह पहली बार होगा जब दो परमाणु संपन्न देश आमने-सामने होंगे. इमरान ने कहा कि इसमें वह होने की संभावना है जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 'हम भारत पर हमला नहीं कर सकते-यह एक विकल्प नहीं है.
खान ने कहा कि कश्मीर की स्थिति बहुत खराब है और चूंकि 1.3 अरब मुस्लिम इसे देख रहे हैं, इससे इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलेगा, खासकर अगर इस्लामी राष्ट्र इस पर कोई कदम नहीं उठाते हैं।इमरान ने जोर देकर कहा कि प्रतिबंध हटाए जाने के बाद, सभी कश्मीरी, जिनमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं और जिन्हें नजरबंद रखा गया, वे उठ खड़े होंगे, उन्होंने मौत का डर खो दिया है.खान ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर 'नस्लवादी और हिंदू वर्चस्ववादी' होने का आरोप लगाते हुए जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी की धर्मनिरपेक्षता पर जोर दिया. यह भी पढ़े: पाक पीएम इमरान खान ने माना कि भारत से युद्ध में हार सकता है पाकिस्तान, सांकेतिक रूप से किया स्वीकार
उन्होंने कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने का आह्वान किया, लेकिन यह नहीं कहा कि क्या वह जनमत संग्रह के प्रस्ताव 47 का अनुपालन करेंगे, जो कश्मीर में कब्जे वाले क्षेत्रों से पाकिस्तान की वापसी की एक पूर्व शर्त है.खान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर लोगों से ज्यादा व्यापार और आर्थिक हितों को महत्व देने और कश्मीर की अनदेखी करने का आरोप लगाया क्योंकि भारत 1.3 अरब लोगों का एक बाजार है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दुनिया कश्मीर के लोगों की दुर्दशा की अनदेखी कर रही है क्योंकि वे मुस्लिम हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि अगर 80 लाख यूरोपीय या यहूदियों या यहां तक कि आठ अमेरिकियों को भी 50 दिनों के लिए प्रतिबंधों के बीच रखा जाता तो क्या स्थिति ऐसी ही समान होती?
खान ने कहा कि 9/11 के बाद, 'इस्लामिक आतंकवाद' मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव का एक बहाना बन गया और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उम्मीद कर रहे हैं कि वह इसका जिक्र कर इससे बच निकल सकते हैं. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय नेताओं और संयुक्त राष्ट्र को कम से कम भारत सरकार से कर्फ्यू हटाने के लिए कहना चाहिए।मोदी से बातचीत की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, खान ने कहा कि उनके भारतीय समकक्ष ने पांच अगस्त से पहले चर्चा के उनके प्रस्तावों को नकार दिया था और अब यह संभव नहीं है। भारत ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था।उन्होंने बातचीत के लिए दो पूर्व शर्तें रखीं जिसमें कश्मीर में लगे कर्फ्यू को हटाना और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर की विशेष स्थिति को बहाल करना शामिल है.