काठमांडू: भारत के कड़े विरोध के बावजूद नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिमपियाधुरा क्षेत्र वाले विवादित नक्शे को अपने संविधान में शामिल कर लिया है. नेपाल की राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी (Bidhya Devi Bhandari) ने इससे संबंधित बिल पर गुरुवार को दस्तखत किए. इसके बाद सभी आधिकारिक दस्तावेजों में नए नक्शे का इस्तेमाल किया जाएगा.
नेपाल की संसद ने राजनीतिक नक्शे को अपडेट करने के लिए संविधान में संशोधन को पहले ही सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी. इसके तहत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत के तीन क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी और लिमपियाधुरा को नेपाल ने अपना बताया है. हालांकि भारत ने पहले ही कहा है कि नेपाल के नक्शे में बदलाव करने और कुछ भारतीय क्षेत्रों को उसमें शामिल करने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक ‘‘कृत्रिम विस्तार’’ साक्ष्य एवं ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है. नेपाल का नया नक्शा मान्य नहीं है. सीमा विवाद: भारत ने नेपाल से कहा- वार्ता के लिए पहले रोके विवादित नक्शे की आगे की प्रकिया
Nepal President Bidhya Devi Bhandari ratifies Constitution Amendment Bill for changing the map of Nepal to include Kalapani, Lipulekh and Limpiyadhura. pic.twitter.com/EvQOmNFj6H
— ANI (@ANI) June 18, 2020
भारत ने नवंबर 2019 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसके करीब छह महीने बाद नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था. हालांकि इस नक्शे को अंतिम मंजूरी मिलने के बाद अब भारत और नेपाल के बीच तनाव की स्थिति बन सकती है.
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव पैदा हो गया था, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड में धारचूला और लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाले, 80 किलोमीटर लंबे, रणनीतिक रूप से अहम मार्ग का उद्घाटन किये जाने पर नेपाल ने आपत्ति जताई. और दोनों देशों के बीच रिश्ते में तनाव आ गया. नेपाल का दावा है कि यह राजमार्ग उसके क्षेत्र से गुजरता है. हालांकि भारत ने नेपाल के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह रोड पूरी तरह से भारत की सीमा में है.