जर्मनी में बूखनवाल्ड मुक्ति के 80 साल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

यातना पीड़ितों, रिश्तेदारों और राजनेताओं ने अमेरिकी सैनिकों के हाथों बूखनवाल्ड नाजी कैंप की मुक्ति के 80 वर्ष पूरे होने पर आयोजित स्मृति सभा में हिस्सा लिया. वहीं इस्राएल के ऐतराज पर एक वक्ता का भाषण रद्द कर दिया गया.राजनेता, यातना पीड़ित और उनके रिश्तेदार व वंशज, रविवार (06 अप्रैल) को जर्मनी के थुरिंजिया राज्य के वाइमार में बूखनवाल्ड यातना शिविर की मुक्ति की श्रद्धांजलि सभा के लिए इकट्ठा हुए. इस नाजी कैंप को अमेरिकी सैनिकों ने 11 अप्रैल, 1945 को मुक्त किया था.

इस यादगार सभा की शुरुआत, थुरिंजिया राज्य के मुख्यमंत्री मारियो फोइग्ट और जर्मनी के पूर्व राष्ट्रपति क्रिस्टियान वुल्फ के भाषणों से हुई. बूखनवाल्ड एंड मिटलबाउ-डोरा मेमोरियल्स फाउंडेशन ने बताया कि इस साल की सभा में बेलारूस, फ्रांस, जर्मनी, इस्राएल, रोमानिया और स्विट्जरलैंड से आए, बूखनवाल्ड यातना शिविर से बचाए गए 10 लोग शामिल हुए.

पढ़ें: मौत के शिविर से आजादी की 80वीं सालगिरह

होलोकॉस्ट को याद रखने की चुनौतियां

यहूदी, रोमा समुदाय के लोग, समलैंगिक और सोवियत युद्ध बंदी- पहले कैदी थे जो बूखनवाल्ड में 1937 की गर्मियों में पहुंचाए जाने लगे थे. 1945 तक लगभग 3,40,000 लोगों को इस कैंप में भेजा गया था. कुल मिलाकर करीब 56,000 लोगों की हत्या बूखनवाल्ड में और अन्य 20,000 लोगों की हत्या मिटलबाउ-डोरा में हुई थी. मिटलबाउ-डोरा ज्यादा कुख्यात हुआ क्योंकि वहां कैदियों को नाजी जर्मनी के वी1 और वी2 रॉकेट बनाने में मदद करने के लिए मजबूर किया गया था. लेकिन 80 साल बाद अब कम गवाह जीवित हैं जो उस अंधेरे अतीत के सबक बता सकें. 2005 में जीवित बचे लगभग 300 पूर्व बंदियों ने 60वीं स्मृति सभा में भाग लिया था. इस साल यह संख्या मात्र 10 ही रह गई.

आज के दौर में जर्मनी और पश्चिमी दुनिया में दक्षिणपंथी विचारधारा उभार पर है. स्थानीय स्तर पर धुर-दक्षिणपंथी 'ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' (एएफडी) अब थुरिंजिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. एएफडी, जर्मनी की तथाकथित "स्मृति संस्कृति" के विचार का विरोध करती रही है. एएफडी ने पहले भी जर्मनी के नाजी अतीत को हल्के तरीके से पेश किया है और समाज से उस हिस्से को भूलकर आगे बढ़ने की बात कही है.

बूखनवाल्ड एंड मिटलबाउ-डोरा मेमोरियल फाउंडेशन के प्रमुख इतिहासकार येंस-क्रिस्टियान वागनर के मुताबिक, "युद्ध के बाद के दशकों की निश्चितताएं... नाजुक स्थिति में आ गई हैं." उन्होंने कहा, "उदार लोकतंत्र (अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच) मझधार में फंसा हुआ हैं और जर्मनी में एएफडी ऐतिहासिक संशोधनवाद (इतिहास में मनगढंत बदलाव) फैला रही है."

पढ़ें: होलोकॉस्ट स्मृति दिवस: ताकि नाजी इतिहास कभी न दोहराया जाए

सभा का हिस्सा बने अलब्रेष्ट वाइनबेर्ग

इस साल की सभा में उपस्थित लोगों में बूखनवाल्ड से बचाए गए अलब्रेष्ट वाइनबेर्ग भी रहे. 100 साल के वाइनबेर्ग, अमेरिका में दशकों बिताने के बाद 2012 में जर्मनी लौटे. उन्होंने कई साल तक छात्रों को होलोकॉस्ट के बारे में पढ़ाया है. उन्होंने कहा कि युवाओं को "मुंह खोलने और यह कहने से डरना नहीं चाहिए कि कुछ सही नहीं है."

वाइनबेर्ग ने जनवरी के अंत में उस समय अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने जर्मनी में कठोर इमीग्रेशन कानून पारित करने की कोशिश का विरोध किया. यह प्रस्ताव देश के संभावित चांसलर और सीडीयू पार्टी के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स के पेश किया था. जर्मनी की संसद बुंडेसटाग में एएफडी की वोटों से यह प्रस्ताव आगे बढ़ा था और इसके विरोध में वाइनबेर्ग ने 2017 में उन्हें दिया गया 'जर्मन फेडरल ऑर्डर ऑफ मेरिट' पुरस्कार लौटा दिया.

पूर्व जर्मन राष्ट्रपति की एएफडी पर टिप्पणी

अपने भाषण में जर्मनी के पूर्व राष्ट्रपति क्रिस्टियान वुल्फ ने मौजूदा वैश्विक राजनीतिक स्थिति को लेकर कड़ी चेतावनी दी है. नाजी आतंक और उससे जुड़े घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए वुल्फ ने कहा, "क्रूरता और कट्टरता तथा दुनिया भर में दक्षिणपंथी झुकाव मुझे असहज करता है और अब मैं ज्यादा स्पष्ट तरीके से कल्पना कर सकता हूं कि यह तब कैसे हुआ होगा."

उन्होंने कहा,"हम इसकी स्थायी, सतत और अनंतकाल तक जिम्मेदारी उठाते हैं क्योंकि बुराई को फिर कभी हावी होने नहीं दिया जा सकता."

वुल्फ ने भी अप्रवासी विरोधी और धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि जो लोग इस धुर दक्षिणपंथी पार्टी को सामान्य मानते हैं "वे इस तथ्य को नजरअंदाज कर रहे हैं कि 'ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' की विचारधारा ऐसा माहौल बना रही है जिससे लोग जर्मनी में असहज महसूस करते हैं और वे वाकई वास्तविक संकट में हैं."

इस्राएल के दबाव में वक्ता को न्योता रद्द

यादगार सभा से पहले इस्राएली दूतावास ने दार्शनिक ओमरी बोएम के प्रस्तावित स्मृति भाषण पर आपत्ति जताई. बोएम, एक होलोकॉस्ट सर्वाइवर के पौत्र हैं. वह इस्राएली सरकार और गाजा में उसकी कार्रवाइयों के आलोचक हैं. इस्राएल की ओर से आपत्ति के बाद आयोजकों ने निमंत्रण वापस ले लिया.

जर्मनी में इस्राएली दूतावास ने कहा कि बोएम को आमंत्रित करना ही "पीड़ितों की स्मृति का गंभीर अपमान" था. दूतावास ने बोएम पर होलोकॉस्ट को कम करके दिखाने का आरोप लगाया. आयोजकों ने कहा कि उन्होंने बोएम से बात की और उनके भाषण को भविष्य में किसी तारीख तक स्थगित करने का फैसला किया लिया ताकि कार्यक्रम में शामिल होने वाले यातना शिविर पीड़ितों को किसी विवाद में ना घसीटा जाए.

आरएस/ओएसजे (डीपीए,एपी,एएफपी)