वक्फ कानून पर बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा! 150 दंगाई गिरफ्तार, ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण का आरोप

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के कई इलाकों में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. अब तक हिंसा में तीन लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है, जहां बीजेपी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है.

घटना से जुड़ी 10 प्रमुख बातें

वक्फ संशोधन बिल के बाद विरोध: संसद द्वारा वक्फ संशोधन अधिनियम पारित किए जाने के बाद बंगाल के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए. यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित पुराने कानूनों में अहम बदलाव करता है.

प्रभावित क्षेत्र: मुर्शिदाबाद जिले के सूटी, धूलियन, शमशेरगंज और जंगीपुर इलाकों में हालात सबसे अधिक बिगड़े. पुलिस ने अब कहा है कि स्थिति नियंत्रण में है और बड़े जमावड़ों को रोकने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है.

हाईकोर्ट का हस्तक्षेप: कलकत्ता हाईकोर्ट ने हालात को गंभीर और अस्थिर बताया है और शांति बनाए रखने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है. कोर्ट ने टिप्पणी की, “संवैधानिक न्यायालय ऐसे समय में चुप नहीं रह सकते जब जनता की सुरक्षा खतरे में हो.”

ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि दंगे समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कानून केंद्र सरकार का है, राज्य सरकार का नहीं. उन्होंने दोहराया कि तृणमूल कांग्रेस इस कानून का समर्थन नहीं करती.

बीजेपी का हमला: विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि 400 से अधिक हिंदू परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया गया है. उन्होंने कहा, "बंगाल में धार्मिक उत्पीड़न एक सच्चाई है. तृणमूल की तुष्टीकरण की राजनीति ने कट्टरपंथी ताकतों को प्रोत्साहित किया है."

राज्यपाल की टिप्पणी: राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हिंसा पर चिंता जताई और हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, “मैं खुश हूं कि कोर्ट ने समय रहते उचित निर्णय लिया.”

हिंसा की शुरुआत: मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में 8 अप्रैल को हिंसा शुरू हुई, जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और कई पुलिस वाहनों में आग लगा दी गई. इससे पहले कोलकाता समेत राज्य के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे.

पुलिस की स्थिति: राज्य के डीजीपी राजीव कुमार ने कहा कि सरकार ने पुलिस को किसी भी अराजकता को बर्दाश्त न करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन पहले शांतिपूर्ण था, लेकिन बाद में सार्वजनिक संपत्ति की तोड़फोड़ और साम्प्रदायिक तनाव में बदल गया.

राजनीतिक दबाव: यह घटना मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बनकर सामने आई है, जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में चौथी बार सत्ता में लौटने की तैयारी कर रही हैं.

शिक्षकों का आंदोलन: राज्य सरकार पहले से ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26,000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द किए जाने के कारण विरोध झेल रही है. ऐसे में वक्फ अधिनियम को लेकर फैली हिंसा सरकार के लिए दोहरी मुश्किल बन गई है.

वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर बंगाल में उपजे हालात न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. जहां एक ओर राज्य सरकार शांति की अपील कर रही है, वहीं विपक्ष इस पूरे घटनाक्रम को सत्ताधारी दल की विफलता के रूप में पेश कर रहा है. आगामी चुनावों से पहले यह घटना बंगाल की सियासत को गहरा प्रभावित कर सकती है.