Great Conjunction: अंतरिक्ष के नजरिये से आज का दिन बेहद दिव्य और अनोखा होने जा रहा है, जब बृहस्पति और शनि (Jupiter and Saturn) एक दूसरे के काफी करीब होंगे. जिसे सूर्यास्त के बाद नंगी आंखों से कोई भी देख सकता है. देश के अधिकांश भागों में यह खगोलीय घटना नजर आयेगी. एमपी बिड़ला तारामंडल से प्राप्त खबरों के अनुसार इन दोनों ग्रहों को साल 1623 यानी 397 साल में कभी भी इतने करीब नहीं देखा गया और शनि तथा बृहस्पति के बीच यह संयोग अब 60 साल बाद पुनः देखा जा सकेगा.
आज यानी 21 दिसंबर सोमवार की सूर्यास्त के बाद सौर मंडल के दो सबसे बड़े ग्रहों को खुली आंखों से देखने पर लगेगा कि वे बहुत करीब आ गये हैं. माना जा रहा है कि बृहस्पति और शनि का यह दुर्लभ मिलन लगभग 800 साल बाद होने जा रहा है.
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सर्दी के दिनों में अमूमन दिन छोटे और रातें लंबी होनी शुरु हो जाती हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिसंबर की 21 तारीख यानी आज की रात साल की सबसे लंबी रात होगी, और माना जा रहा है कि सूर्यास्त होते ही खगोल-विज्ञानियों की नजरें आकाश मंडल में होनेवाली खगोलीय घटनाओं पर टिक जायेंगी. इसमें सौर मंडल के दो सबसे बड़े ग्रहों बृहस्पति और शनि को एक दूसरे से गलबहियां से करते नजर आयेंगे और यह दिव्य झलक भारत के अधिकांश भूभागों से देखा जा सकेगा.
खगोल शास्त्रियों ने इसे महा संयोजन ( Great Conjunction) नाम दिया.
इस संदर्भ में खगोल विज्ञानियों का कहना है कि वास्तव में अंतरिक्ष में बृहस्पति और शनि नामक ये बड़े ग्रह एक दूसरे से करोड़ों किमी दूर होंगे, लेकिन पृथ्वी से देखने पर ये एकदम करीब दिखेंगे. खगोल विज्ञानियों ने इस अद्भुत आकाशीय घटना को महासंयोजन ( Great Conjuction) नाम दिया है.
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ग्रीष्मकाल से ही करीब आ रहे हैं शनि और बृहस्पति
एमपी बिड़ला (Bidla) तारामंडल के अनुसार दो खगोलीय पिंड धरती से एक दूसरे के बहुत निकट होते हैं तो इस घटना क्रम को कंजक्शन का नाम दिया है. जबकि शनि और बृहस्पति के इस अद्भुत मिलन को डबल प्लेनेट या ग्रेट कंजक्शन कहा जाता है. इन दोनों ग्रहों के बीच की दूरी 73.5 करोड़ किमी होगी. गौरतलब है कि ग्रीष्मकाल के बाद से ही बृहस्पति और शनि निरंतर एक दूसरे के करीब आ रहे हैं.
भारत में देखा जा सकेगा इस दिव्य मिलन को
हिंदुस्तान के ज्यादातर शहरों में सूर्यास्त के पश्चात इस अद्वितीय घटना को नंगी आंखों से देखा जा सकता है. खगोल-शास्त्रियों के अनुसार 21 दिसंबर के आसपास पश्चिम की ओर आकाश मंडल के बिल्कुल नीचे दोनों ग्रहों (बृहस्पति और शनि) को एक दूसरे के करीब देखा जा सकेगा. इस काल में सौरमंडल का पांचवां ग्रह बृहस्पति और छठवां ग्रह शनि 0.1 डिग्री के करीब में नजर आयेंगे. ऐसा तब तक होगा जब तक कि दोनों ग्रह एक डिग्री के दसवें हिस्से के बराबर नहीं हो जाते.
सबसे निकटतम स्थिति
अमेरिका (America) स्थित हॉर्वर्ड कॉलेज ऑब्जर्वेटरी और स्मिथसोनियन एस्ट्रोफिजिकल ऑब्जर्वेटरी द्वारा संयुक्त रूप से संचालित अनुसंधान संस्थान - सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स, हार्वर्ड ऐंड स्मिथ सोनियन के एक प्रवक्ता के मुताबिक, साल 1623 के करीब 400 वर्षों के पश्चात यह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रहों शनि और बृहस्पति का निकटतम पल होगा. साल 1226 के बाद दोनों ग्रहों का यह सबसे निकटतम आमना-सामना होगा, जिसे कोई भी व्यक्ति खुली आंखों से देख सकता है. यद्यपि खगोलविदों के अनुसार टेलीस्कोप के माध्यम से इस घटनाक्रम को बेहतर ढंग से अवलोकन किया जा सकता है. ज्ञात हो कि बृहस्पति और शनि निरंतर सूर्य की परिक्रमा करते हैं. बृहस्पति की एक परिक्रमा करीब 11.86 वर्षों में पूरी होती है जबकि शनि को सूर्य का चक्कर लगाने में लगभग 29.5 वर्ष लग जाते हैं. खगोल शास्त्रियों के अनुसार अगली बार साल 2080 में संभवतया 15 मार्च 2080 को यह अद्भुत मिलन देखा जा सकेगा, लेकिन इसे देखने के लिये मौजूदा दौर के अधिकांश वयस्क जीवित नहीं होंगे.