Tornado on Mars: नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर धूल से भरा बवंडर देखा है. ये धूल भरे बवंडर पृथ्वी पर भी होते हैं. ये तब बनते हैं जब गर्म हवा नीचे आ रही ठंडी हवा के कॉलम के साथ मिलती है. मंगल ग्रह के बवंडर पृथ्वी पर पाए जाने वाले बवंडरों की तुलना में बहुत बड़े हो सकते हैं.
टीम के अधिकारियों के अनुसार, 30 अगस्त को मिशन के 899वें मंगल दिवस या सोल पर, नासा के पर्सिवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह के धूल के बवंडर के सतह के पास वाले हिस्से का वीडियो भेजा है. यह मंगल के जेज़ेरो क्रेटर के पश्चिमी रिम के साथ बढ़ रहा था. Aditya L1 Mission: धरती से 9.2 लाख KM दूर पहुंचा 'आदित्य', दूसरी बार ISRO ने किसी यान को पृथ्वी के प्रभाव से बाहर भेजा
बोल्डर, कोलोराडो में अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक और पर्सिवेरेंस साइंस टीम के सदस्य मार्क लेमन ने एक बयान में कहा, "हम धूल के शैतान के शीर्ष को नहीं देखते हैं, लेकिन जो छाया वह बना रहा है वह हमें उसकी ऊंचाई का अच्छा संकेत देता है."
वीडियो रोवर के नैवकैम द्वारा बनाया गया है.
Mars dust devil caught in action! This video, which is sped up 20 times, was captured by one of my navigation cameras. 📸 More on what my team is learning: https://t.co/PhaOYOTrFH pic.twitter.com/vRaAVszcm5
— NASA's Perseverance Mars Rover (@NASAPersevere) September 29, 2023
लेमन ने कहा, "अधिकांश ऊर्ध्वाधर कॉलम हैं. यदि इस धूल के शैतान को इस तरह से कॉन्फ़िगर किया गया था, तो इसकी छाया यह संकेत देगी कि इसकी ऊंचाई लगभग 1.2 मील (2 किलोमीटर) है."
इमेजरी से डेटा का उपयोग करते हुए, मिशन वैज्ञानिकों ने निर्धारित किया कि बवंडर लगभग चार किलोमीटर दूर, "थोरोफेयर रिज" नामक स्थान पर था और लगभग 19 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ रहा था.
Look closely - it's like a ghost on Mars.
(full story: https://t.co/UEwrVdN3c4 @NASA) pic.twitter.com/X4hdx2vlpR
— Chris Hadfield (@Cmdr_Hadfield) October 1, 2023
उन्होंने इसकी चौड़ाई लगभग 60 मीटर आंकी जबकि कैमरे के फ्रेम में घूमते भंवर का केवल निचला 118 मीटर हिस्सा दिखाई दे रहा है. वैज्ञानिकों ने लगभग दो किलोमीटर की पूरी ऊंचाई का अनुमान लगाने के लिए बवंडर की छाया का उपयोग किया.
मंगल ग्रह पर बवंडर वसंत और गर्मियों के महीनों के दौरान सबसे ज्यादा आते हैं. वैज्ञानिक भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि वे किसी विशिष्ट स्थान पर कब दिखाई देंगे.
छह पहियों वाला पर्सिवेरेंस फरवरी 2021 में 45 किलोमीटर चौड़े जेजेरो क्रेटर के फर्श पर उतरा था. मंगल ग्रह पर पर्सीवरेंस के मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य खगोल विज्ञान है, जिसमें प्राचीन सूक्ष्मजीव जीवन के संकेतों की खोज भी शामिल है.