बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें एक व्यक्ति ने अपने 13 वर्षीय बेटे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का दावा था कि, यह संतान उसकी नहीं है, इसलिए वह बच्चे को गुजार भत्ता नहीं देगा, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद यह याचिका ठुकरा दी. हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा कि मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, किसी बच्चे का पिता कौन है, यह पता करने के लिए सीधे डीएनए टेस्ट का आदेश देना बच्चे की मानसिकता पर आघात पहुंचा सकता है.

हाई कोर्ट ने कहा कि यह सामाजिक रूप से बच्चे के सामने भविष्य में कई चुनौतियां भी खड़ी कर सकता है. यह कोई ऐसा मामला नहीं है जिसमें बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने की जरूरत हो. इसमें यहीं नजर आ रहा है कि, एक नौकरीपेशा व्यक्ति अपने पिता होने की जिम्मेदारियों से बचने के लिए डीएनए टेस्ट की मांग कर रहा है.

(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)