बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें एक व्यक्ति ने अपने 13 वर्षीय बेटे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का दावा था कि, यह संतान उसकी नहीं है, इसलिए वह बच्चे को गुजार भत्ता नहीं देगा, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद यह याचिका ठुकरा दी. हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा कि मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, किसी बच्चे का पिता कौन है, यह पता करने के लिए सीधे डीएनए टेस्ट का आदेश देना बच्चे की मानसिकता पर आघात पहुंचा सकता है.
हाई कोर्ट ने कहा कि यह सामाजिक रूप से बच्चे के सामने भविष्य में कई चुनौतियां भी खड़ी कर सकता है. यह कोई ऐसा मामला नहीं है जिसमें बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने की जरूरत हो. इसमें यहीं नजर आ रहा है कि, एक नौकरीपेशा व्यक्ति अपने पिता होने की जिम्मेदारियों से बचने के लिए डीएनए टेस्ट की मांग कर रहा है.
In a relief to a teenager, the #BombayHC rejected his father’s petition seeking that he be made to undergo a DNA test to prove paternity, and observed that children have the right not to have the legitimacy of their birth questioned frivolously in courts of law.
— Abdulkadir/ अब्दुलकादिर (@KadirBhaiLY) March 17, 2023
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