मध्य प्रदेश: भोपाल के शिवपुरी जिले में एक 35 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर रोजाना सड़क पर चलने के दौरान हाथ में डंडा लेकर आसमान की ओर देखता रहता है. वो ऐसा कौवें की दहशत की वजह से करते हैं. शिव केवट का कहना है कि,' एक कौआ उनसे अपने बच्चे की जान का बदला लेना चाहता है. उनका कहना है कि, कौआ और उनका झूंड उन पर अटैक करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. कभी कभी एक कौआ या उनका झूंड उनके घर की छत पर उनके इन्तजार में बैठे रहते हैं और जैसे ही वो घर से बाहर निकलते हैं सभी बड़ी ही बेरहमी से उन पर हमला कर देते हैं, जिसकी वजह से उन्हें खून तक निकलने लगता है. उनका कहना है कि उनके साथ पिछले तीन साल ऐसा से हो रहा है. केवट कहते हैं कि, 'जब भी मैं घर से बाहर निकलता हूं अपने साथ छड़ी लेकर निकलता हूं, क्योंकि पता नहीं कब वो मुझ पर हमला कर दें.
केवट का कहना है कि तीन साल पहले वे लोहे की जाली में फंसे एक कौवे के बच्चे की जान बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इस दौरान बच्चे की मौत हो गई. उन्होंने कौवे के बच्चे को बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो उसे बचा नहीं पाए. तबसे कौवे का झूंड उनसे बदला लेना चाहता है. इस मामले में इंदौर के ऑर्निथोलॉजिस्ट अजय गडिकर ने पीटीआई भाषा को बताया कि,'पक्षियों की याददाश्त बहुत मजबूत होती है और उनकी कई इंद्रियां मनुष्य की तुलना में तेज होती हैं. "यही कारण है कि पक्षियों की कुछ प्रजातियां हजारों मील उड़ती हैं और घर लौटती हैं,". कौवे इंसान के चेहरे को निश्चित रूप से याद रखते हैं और वे आक्रामक भी होते हैं. उनकी दृष्टि और श्रवण इंद्रियां मनुष्यों की तुलना में तेज होती हैं. काले पक्षियों की औसत जीवन अवधि 15 से 20 साल के बीच होती है.
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इस बीच केवट के मालिक काला खटीक जो एक ठेकेदार हैं उन्होंने कहा कि,' मैंने एक साल पहले एक पूजा भी की थी, ताकि कौवे उनके मजदूर पर हमला न कर सके. उन्होंने बताया कि,' केवट ने अपनी परेशानी के बारे में एक दिन मुझे बताया और इससे बचने का मैंने तरीका भी बताया लेकिन वो भी नाकाम रहा.