सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) (Line of Control (LoC) पर राइफल वूमन (Riflewomen) तैनात किया गया है. कुछ पत्रकारों सहित सोशल मीडिया यूजर्स ने उनका परिचय देते हुए तीन महिला सैनिकों का वीडियो शेयर किया है. हालांकि वीडियो में यह स्पष्ट नहीं है कि ये राइफल वूमन किस रेजिमेंट की हैं.
वीडियो में लड़ाकू यूनिफॉर्म (Combat Uniform) में राइफल वूमन को भारतीय सीमा की सुरक्षा में तैनात देखा जा सकता है. भारतीय सेना के एक पूर्व अधिकारी (Former Indian Army Officer) ने ट्वीट के जबाव में बताया है कि ये महिलाएं असम राइफल्स से हैं, जो सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है. वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सतीश दुआ (Lt Gen (Retd) Satish Dua) ने असम राइफल्स (Assam Rifles) को एक बेहतरीन फोर्स बताया है. उन्होंने मेजर जनरल के रूप में एक डिवीजन की कमान संभाली थी.
देखें वीडियो-
Incredible! Indian Army Riflewomen deployed for the first time along Line of Control between India and Pakistan in Jammu & Kashmir. Proud to share this on Rakshabandhan! Here are the brave women soldiers protecting us all! Respect! pic.twitter.com/ZNUxJPQk4u
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 3, 2020
एक और वीडियो-
लेफ्टिनेंट जनरल दुआ ने ट्वीट कर लिखा है- असम राइफल्स एक अच्छा बल है. एक मेजर जनरल के रूप में एक डिवीजन की स्थापना और कमान संभाली है. सोशल मीडिया यूजर्स में से एक ने दावा किया है कि जिस स्थान पर राइफल वूमन को तैनात किया गया है वो एनएच 1 है न कि नियंत्रण रेखा.
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सतीश दुआ का ट्वीट
Assam Rifles is a fine force. Have raised and commanded a Division as a Major General.
Now they show the way re women in combat 👍
— Lt Gen Satish Dua🇮🇳 (@TheSatishDua) August 3, 2020
आमतौर पर असम राइफल्स के निदेशक भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी होते हैं. अर्धसैनिक बल होने के नाते, असम राइफल्स गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है. इस बीच महिलाओं को अब तक भारतीय सेना में एक लड़ाकू भूमिका की अनुमति नहीं है. हाल ही में केंद्र सरकार ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी आयोग के अनुदान की औपचारिक तौर पर मंजूरी दी है.