दुनिया भर के वैज्ञानिक एवं चिकित्सकों के अथक प्रयासों के बावजूद कैंसर का ठोस उपचार अभी तक संभव नहीं हो पाया है. तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों के सीमा से ज्यादा सेवन से कैंसर आसानी से जड़ जमाता जा रहा है. यही कारण है कि कैंसर तेज गति से बढ़ रहा है. जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी में 2017 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, विकसित देशों के मुकाबले भारत में कैंसर के मरीजों की मौत की दर दोगुनी है.
भारत में कैंसर: क्या कहता है सर्वे की रिपोर्ट!
भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या इतनी विस्फोटक हो रही है कि एक डॉक्टर पर करीब दो हजार मरीजों का प्रेशर होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में विश्व भर में कैंसर के लगभग 1.81 करोड़ मामले आए, इसमें 96 लाख मरीजों को बचाया नहीं जा सका. इनमें से 70% मौतें भारत जैसे मध्य आय एवं कुछ अत्यंत गरीब देशों में हुईं. इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि, भारत में कैंसर से करीब 7 लाख 84 हजार लोग काल काल-कवलित हुए. दुनिया भर में कैंसर से हुईं 8% मौतें केवल भारत में हुईं. इससे एक साल पहले जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर से हुई मृतकों का प्रतिशत अन्य विकसित देशों की तुलना में करीब दुगने से ज्यादा है. यानी भारत में जहां 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मृत्यु हो जाती है, वहीं अन्य विकसित देशों में 10 में से 3 की मौत होती है. रिपोर्ट में इसकी दो वजहें बताई गई, पहला कैंसर के प्रति लोगों में जागरुकता का अभाव दूसरा कैंसर एक्सपर्ट की कमी. यह भी पढ़ें : Vastu Tips to Get Married Soon: जल्द शादी के बंधन में बंधने के लिए अपनाएं ये वास्तु टिप्स!
सुविधाओं एवं अस्पतालों की कमी नहीं!
यह सच है कि भारत में कैंसर एक्सपर्ट की कमी है, लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि कैंसर के इलाज में भारत विकसित देशों से किसी भी तरह कमतर नहीं हैं. कैंसर के कई नामचीन अस्पताल यहां हैं, जो बेहतर तकनीकों से सुसज्ज हैं. इन अस्पतालों में अफ्रिका समेत खाड़ी के कई देशों के मरीज कैंसर का इलाज कराने यहां आते हैं. इसके अलावा दूसरे कई विकसित देशों के मरीज भी यहां कैंसर का इलाज करवाने आते हैं.
क्या है कैंसर?
शरीर में सेल्स की अनियंत्रित वृद्धि से कैंसर को जन्म लेता है. ये कोशिकाएं तेजी फैलते हुए शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे शरीर के अमुक हिस्सों पर ट्यूमर (गांठ) बनता है. ये गाँठ ही कैंसर होते हैं. कैंसर एक उम्र विशेष वालों को ही नहीं, बच्चों से लेकर वृद्धों तक को अपनी चपेट में ले सकता है. अलबत्ता पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर दर ज्यादा है. W HO की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में भारत में महिलाओं में कैंसर के 5 लाख 87 हजार केस सामने आए थे, जबकि पुरुषों की संख्या 5 लाख 70 हजार थी. हालांकि इससे हुईं मौतों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से 42 हजार ज्यादा थी.
विश्व कैंसर दिवस का इतिहास!
अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ द्वारा स्विट्जरलैंड के जिनेवा में पहली बार 4 फरवरी 1933 विश्व कैंसर दिवस मनाया गया. लेकिन दुनिया भर में कैंसर के प्रति जागरूकता साल 2005 से शुरू हुई. इसके बाद प्रत्येक वर्ष इसी दिन दुनिया भर में कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है.
क्या है इसका का उद्देश्य?
यह हमारे समाज की विकृति सोच ही है कि हम कैंसर पीड़ित व्यक्ति को घृणा की नजर से देखते हैं. उनसे खुद को बचाने की कोशिश करते हैं, और इसकी मुख्य वजह है, हमारे मन में कैंसर के प्रति गलत भ्रांतियों का होना. इसे दूर करने और कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. इसी कार्य में संलिप्त एकसंगठन यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में कमी करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में सुधार लाना है. ताकि लोग समय रहते कैंसर का इलाज केवर सकें. इस संगठन का मुख्य कार्य लोगों को कैंसर से बचने और जागरूक करना है.
सुविधाओं एवं अस्पतालों की कमी नहीं!
यह सच है कि भारत में कैंसर एक्सपर्ट की कमी है, लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि कैंसर के इलाज में भारत विकसित देशों से किसी भी तरह कमतर नहीं हैं. कैंसर के कई नामचीन अस्पताल यहां हैं, जो बेहतर तकनीकों से सुसज्ज हैं. इन अस्पतालों में अफ्रिका समेत खाड़ी के कई देशों के मरीज कैंसर का इलाज कराने यहां आते हैं. इसके अलावा दूसरे कई विकसित देशों के मरीज भी यहां कैंसर का इलाज करवाने आते हैं.
क्या है कैंसर?
शरीर में सेल्स की अनियंत्रित वृद्धि से कैंसर को जन्म लेता है. ये कोशिकाएं तेजी फैलते हुए शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे शरीर के अमुक हिस्सों पर ट्यूमर (गांठ) बनता है. ये गाँठ ही कैंसर होते हैं. कैंसर एक उम्र विशेष वालों को ही नहीं, बच्चों से लेकर वृद्धों तक को अपनी चपेट में ले सकता है. अलबत्ता पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर दर ज्यादा है. W HO की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में भारत में महिलाओं में कैंसर के 5 लाख 87 हजार केस सामने आए थे, जबकि पुरुषों की संख्या 5 लाख 70 हजार थी. हालांकि इससे हुईं मौतों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से 42 हजार ज्यादा थी.
विश्व कैंसर दिवस का इतिहास!
अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ द्वारा स्विट्जरलैंड के जिनेवा में पहली बार 4 फरवरी 1933 विश्व कैंसर दिवस मनाया गया. लेकिन दुनिया भर में कैंसर के प्रति जागरूकता साल 2005 से शुरू हुई. इसके बाद प्रत्येक वर्ष इसी दिन दुनिया भर में कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है.
क्या है इसका का उद्देश्य?
यह हमारे समाज की विकृति सोच ही है कि हम कैंसर पीड़ित व्यक्ति को घृणा की नजर से देखते हैं. उनसे खुद को बचाने की कोशिश करते हैं, और इसकी मुख्य वजह है, हमारे मन में कैंसर के प्रति गलत भ्रांतियों का होना. इसे दूर करने और कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. इसी कार्य में संलिप्त एकसंगठन यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में कमी करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में सुधार लाना है. ताकि लोग समय रहते कैंसर का इलाज केवर सकें. इस संगठन का मुख्य कार्य लोगों को कैंसर से बचने और जागरूक करना है.