सनातन धर्म के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन चातुर्मास के पश्चात श्रीहरि जब योगनिद्रा से जागृत अवस्था में आते हैं, उसी दिन भगवान श्रीहरि स्वरूप शालिग्राम से तुलसीजी का विवाह किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, योगनिद्रा से जागने के पश्चात श्रीहरि सर्वप्रथम हरिवल्लभा यानी माता तुलसी की पुकार सुनते हैं. गौरतलब है कि इसी दिन तुलसी-विवाह सम्पन्न होने के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाते हैं, और घरों में शहनाइयां बजने लगती हैं. आइये जानें तुलसी-विवाह की पूजा, विवाह विधि, शुभ मुहूर्त एवं इसका महात्म्य!
तुलसी विवाह का महात्म्य!
पुराणों के अनुसार भगवान शालिग्राम जिस घर में होते हैं, वह घर समस्त तीर्थों से श्रेष्ठ माना जाता है. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जिस स्थान पर भगवान श्री शालिग्राम की पूजा होती है, वहां भगवान श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी भी निवास करती हैं. इस जगह पर बुरी अथवा नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं. स्कंद पुराण में भी उल्लेखित है कि तुलसी एवं शालिग्राम के विवाह में भगवान शिव ने भी स्तुति की थी. ऐसा कहा जाता है कि शालिग्राम एवं तुलसी जी का विवाह कराने वाले को कन्या-दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.
तुलसी विवाह पूजा विधिः
देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह श्रीहरि स्वरूप शालिग्राम से करने का विधान है. इस दिन स्त्रियां माँ लक्ष्मी के नाम से व्रत रखती हैं. इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान के पश्चात सूर्य को जल अर्पित करें. इसके पश्चात स्वच्छ एवं संभव हो तो पीले रंग का वस्त्र धारण कर श्रीहरि का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें यह भी पढ़ें : Jalaram Bapa Jayanti 2021 Messages: हैप्पी जलाराम जयंती! भेजें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings, Quotes और GIF Images
‘ॐ नमोः नारायणाय. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय,’
घर के मंदिर में विष्णुजी की प्रतिमा अथवा तस्वीर के सामने धूप-दीप प्रज्ज्वलित करें. उन्हें पीला फूल, पीला चंदन, फल, तुलसी पत्ता, दूध की बनी मिठाई अर्पित करते हुए विष्णु जी की स्तुतिगान करें.
विष्णु-स्तुति
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।।
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।
इसके बाद विष्णुजी की आरती उतारकर पूजा का समापन कर प्रसाद का वितरण कर स्वयं भी खायें. इसके पश्चात संध्याकाल में श्रीहरि के साथ तुलसीजी एवं लक्ष्मी जी की पूजा करें. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. सूर्यास्त के पश्चात भगवान शालिग्राम के साथ तुलसीजी का विवाह रचाएं.
इस तरह करें भगवान शालिग्राम एवं तुलसीजी का विवाह
तुलसी के पौधे के गमले के बाहरी हिस्से को गेरू से रंग कर फूलों से सजायें. गमले के चारों ओर चार गन्ने गाड़कर मंडप बनाएं. इसके पश्चात तुलसी जी का ये मंत्र पढ़ें,
देवी त्वं निर्मिता पूर्वचिंतासि मुनीश्वरैः नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रियेः
अब तुलसी के पौधे पर लाल रंग की चुनरी एवं सिंदूर चढ़ाएं, तुलसी को लाल चूड़ियां एवं श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करें इसके पश्चात सिंहासन पर विराजमान भगवान शालिग्राम को हाथ में लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा करें. परिक्रमा पूरी करने के पश्चात विवाह में गाये जानेवाले कम से कम एक मंगलगीत अवश्य गायें. इसके साथ ही यह विवाह सम्पन्न होता है. किसी ब्राह्मण को खाना खिलाने के पश्चात पारण करें. इस दिन अन्न का सेवन नहीं करें. इस दिन संभव हो तो यथाशक्ति गरीबों को भोजन अवश्य कराएं, इससे ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है.
तुलसी विवाह 2021 शुभ मुहूर्त-
एकादशी प्रारंभ 05.48 AM (14 नवंबर, रविवार 2021)
एकादशी समाप्त 06.39 AM (15 नवंबर, सोमवार 2021)
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
सांयकाल 07.50 PM से 09.20 PM तक