Jalaram Bapa Jayanti 2021 Messages in Hindi: हमारे देश में कई साधु-संत हुए हैं, इसलिए इसे आदिकाल से संतों की भूमि भी कहा जाता है. भारत के महान संतों में शुमार जलाराम बापा की आज (11 नवंबर 2021) 222वीं जयंती (Jalaram Bapa Jayanti) मनाई जा रही है. जलाराम बापा (Jalaram Bapa) का जन्म सन 1799 में गुजरात (Gujarat) के राजकोट (Rajkot) स्थित वीरपुर गांव में हुआ था, उनकी माता राजबाई ठक्कर थी, जबकि पिता का नाम प्रधान ठक्कर था. जलाराम बापा भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त थे और बचपन से ही उनका सांसारिक जीवन के प्रति कोई मोह नहीं था. 18 साल की उम्र में तीर्थयात्रा से लौटने के बाद वे फतेहपुर के भोज भगत के शिष्य बन गए. अपने गुरु के सुझाव पर ही उन्होंने सदाव्रत नामक भोजन केंद्र की स्थापना की, जहां साधु-संतों के साथ गरीब और जरूरतमंदों को मुफ्त में भोजन कराया जाता था.
जलाराम बापा की जयंती को हर साल धूमधाम से मनाया जाता है और इस अवसर पर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. लोग इस अवसर पर एक-दूसरे को शुभकामना संदेश भेजकर बधाई भी देते हैं. आप भी जलाराम बापा की 222वीं जयंती पर इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स और जीआईएफ इमेजेस को भेजकर अपने प्रियजनों से हैप्पी जलाराम जयंती कह सकते हैं.
1- देने को टुकड़ा भला,
लेने को हरी नाम,
ताके पद वंदन करूं,
जय जय जलाराम.
हैप्पी जलाराम जयंती
2- परिवार को खिलाया तो फर्ज आम हुआ,
दोस्तों को खिलाया तो अपना नाम हुआ.
किसी गरीब को खिलाया तो पुण्य का काम हुआ,
मगर सारी दुनिया को खिलाया तो वो जलाराम हुआ.
हैप्पी जलाराम जयंती
3- जलाराम बापा आप पर,
और आपके परिवार पर,
अपनी कृपा बनाए रखें.
हैप्पी जलाराम जयंती
4- बहुत पवित्र है वीरपुर गांव,
जहां जलाराम बापा सभी लोगों पर,
अपना पवित्र आशीर्वाद बरसा रहे हैं.
हैप्पी जलाराम जयंती
5- आज जलाराम जयंती है,
अपने चारों ओर प्यार फैलाएं,
जलाराम जयंती के अवसर पर,
अपनों के साथ खुशियां बांटे...
हैप्पी जलाराम जयंती
जलाराम बापा के जीवन काल में लोगों ने कई चमत्कार देखे, जिसके चलते उनमें लोगों की आस्था अटूट होती चली गई. कहा जाता है कि एक बार हरजी नाम के दर्जी के पेट में असहनीय पीड़ा हुई और सारी औषधियां जब निष्क्रिय हो गईं, तब वो जलाराम बापा के पास पहुंचे और अपनी पीड़ा के निवारण के लिए प्रार्थना की. जलाराम बापा ने उसकी पीड़ा के बारे में जानकर भगवान श्रीराम से उनकी पीड़ा हरने की प्रार्थना की, जिसके तुरंत बाद दर्जी की पीड़ा खत्म हो गई. हरजी के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था, लिहाजा वो जय हो बापा कहते हुए उनके चरणोंमें गिर पड़ा. कहा जाता है कि तब से उनके नाम के साथ बापा शब्द जुड़ गया और लोग उन्हें जलाराम बापा कहकर बुलाने लगे.